किसान आंदोलन की बात उन औरतों के बिना अधूरी है, जिन्होंने घरों से दूर मर्दों के कंधों से कंधा मिलाकर आंदोलन को इस मुकाम तक पहुंचाया. आंदोलन का जिक्र उन औरतों के बिना भी अधूरा है, जिन औरतों ने गांवों से आंदोलन के मोर्चों को मजबूत किया. आंदोलन की कहानी उन औरतों के बिना कुछ नही है, जो दिल्ली बॉर्डर पर सर्द हवाओं के बीच भी डटी रहीं. जाहिर है किसान आंदोलन ने हक की जो आवाज उठाई है, वो अब दुनिया भर में सुनी जा रही है. विदेशी मीडिया तक की नजरें आंदोलन पर हैं और यही वजह है कि दिल्ली बॉर्डर पर डटी औरतों की तस्वीरें टाइम मैग्जीन के कवर पेज पर नजर आ रही हैं. कुछ अपवादों को छोड़ दें तो किसानों का आंदोलन खुद में एक अनूठा सत्याग्रह बन चुका है , जिसकी कमान केवल मर्दों के हाथ में नहीं है बल्कि उसमें औरतों का हिस्सा भी उतना ही है. देखें वीडियो.