कल तक जिस आंदोलन का मर्सिया पढ़ा जा रहा था. कल तक जिस आंदोलन को खत्म मान लिया गया था. राकेश टिकैत के आंसुओं के बाद उस आंदोलन में फिर से जान आ गई है. टिकैत की एक भावुक अपील के बाद आस पास के गांव से किसान दिल्ली की ओर कूच करने लगे. और जिस गाजीपुर बॉर्डर पर 27 जनवरी की शाम तक सन्नाटा पसरने लगा था वो जगह फिर से किसानों की आवाजों से गूंजने लगी है. टिकैत के आंसुओं ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. अब सवाल आगे का है. सवाल ये कि क्या करीब करीब खत्म मान लिया गया आंदोलन फिर से खड़ा हो गया है. सवाल ये भी है कि किसानों के लिए आंदोलन को अब यहां से आगे ले जाना कितना मुश्किल है. क्योंकि आंदोलन की जगहों से तनाव की खबरें भी आने लगी हैं. देखें वीडियो.