बात बिगड़ते बिगड़ते इतनी बिगड़ चुकी है कि समझना मुश्किल है कि बिगड़ी बात बनेगी कैसे. 22 दिन बाद भी किसान अपनी मांग पर अड़े हैं. सरकार भी अपने स्टैंड पर कायम है. सरकार कह रही है कि किसान पहल करें. किसान चाहते हैं सरकार आगे बढ़े. लेकिन पहले आप, पहले आप की जिद में अब आंदोलन दुख और त्रासदी की अनगिनत कहानियों मे बदलने लगा है. ठंड के बीच कई आंदोलनकारी किसान अपनी जान गंवा चुके हैं और तो और कल किसानों की मांगों के समर्थन में संत बाबा राम सिंह ने खुदकुशी कर ली. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि किसानों का आंदोलन और कितनी परीक्षा देगा. सवाल ये भी कि प्रदर्शनकारी किसानों की परवाह किसी को है भी या नहीं और सबसे बड़ा सवाल ये कि प्रदर्शन के दौरान हुई किसानों की मौत का जिम्मेदार आखिर है कौन. आज इसी पर देखें तेज मुकाबला.