पिछले साल अक्तूबर में फ्रांस में एक जिहादी हमले में सैम्युएल पेटी नाम के एक फ्रेंच टीचर की हत्या कर दी गई थी. अब एक और फ्रेंच टीचर सुर्खियों में हैं. पेरिस के एक हाई-स्कूल में पढ़ाने वाले दिदियेर लेमायर ने कहा कि सैम्युएल पेटी को लेकर लिखे गए एक ओपन लेटर के बाद से ही उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं.
दिदियेर लेमायर ने कहा कि उन्होंने एक ओपन लेटर लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि सैम्युएल पैटी को बचाने के प्रशासन के प्रयास नाकाफी थे और सरकार ने सैम्युएल पर मंडरा रहे खतरे को हल्के में लिया. हालांकि इस ओपन लेटर के बाद उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं. लेमायर की शिकायत के बाद प्रशासन उन्हें मिल रही धमकियों की जांच कर रहा है.
लेमायर पेरिस के एक हाईस्कूल में पढ़ाते हैं. वे पेरिस में ट्रेपेस नाम की जगह में रहते हैं जहां मुसलमानों की अच्छी खासी जनसंख्या है. प्रशासन का कहना है कि सलाफी मूवमेंट के चलते इस क्षेत्र में मुस्लिमों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ सालों में 50 लोग इस जगह से इराक और सीरिया जैसे देशों में जिहाद के लिए निकले हैं. यही कारण है कि फ्रांस इस क्षेत्र पर फोकस कर कट्टरपंथियों पर लगाम लगाना चाहता है.
लेमायर ने सैम्युएल के मरने के कुछ हफ्तों बाद न्यूज मैगजीन ले प्वॉइंट में एक लेख लिखा था. उन्होंने लिखा था कि मैं कुछ समय से सांप्रदायकिता का गवाह रहा हूं जो लोगों के दिलों-दिमाग पर असर कर रहा है. मिस्टर पेटी को बचाया नहीं जा सका क्योंकि प्रशासन ने उनके खिलाफ खतरे को हल्के में लिया था. इस ओपन लेटर को लिखने के बाद से ही लेमायर काफी सुर्खियों में हैं. इस मामले में एक पुलिस सोर्स का कहना है कि लेमायर को भी पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई है.
सैम्युएल की मौत के बाद से ही फ्रांस में इस अटैक के खिलाफ जबरदस्त प्रोटेस्ट्स देखने को मिले थे जिसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रोन ने इस्लामिक चरमपंथ पर क्रैकडाउन करना शुरू किया था. गौरतलब है कि फ्रांस में साल 2015 से जिहादी हमले हो रहे हैं और इन हमलों में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
मेक्रोन ने फ्री स्पीच का समर्थन किया था और उन्होंने कहा था कि वे कार्टून बनाना नहीं छोड़ेंगे. वही फ्रेंच मीडिया और कई शहरों के प्रशासन ने कुछ कार्टून को रि-पब्लिश भी कराया था जिस पर मुस्लिमों ने विरोध भी जताया था. इसके अलावा सैम्युएल की हत्या के बाद मेक्रोन ने एंटी सेपेरेटिज्म बिल भी ड्राफ्ट किया था जो इस्लामिक संस्थाओं की विदेशी फंडिंग पर नकेल कसने के लिए था. हालांकि इसके बाद मेक्रोन को तुर्की समेत कई देशों में इस्लामोफोबिक करार दिया गया.