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चीन तैयार कर रहा खतरनाक और अदृश्य ‘रोबॉट’, दुश्मन की हर चाल को करेगा नाकामयाब

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
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समंदर में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए चीन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. अब चीन द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) रोबॉट तैयार किया जा रहा है, जो पानी के नीचे आसानी से छिप सकता है. इतना ही नहीं इसको कंट्रोल करने के लिए किसी की आवश्यकता नहीं होगी, ये खुद ही दुश्मन के जहाजों पर हमला कर सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)
 

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इन मानव रहित अंडरवॉटर वेहिकल्स (यूयूवी) को दशकों पहले किए गए प्रयोगों में शामिल किया गया था. प्रयोग के दौरान यह डमी सबमरीन को ढूंढने और उस पर टार्पिडो से हमला करने कामयाब रहे. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)

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वेबसाइट डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार ताइवान जलडमरूमध्य में आयोजित किए गए इन प्रयोगों में यूयूवी की सतह से 30 फीट नीचे एक निश्चित पाठ्यक्रम पर तैनाती देखी गई. एआई रोबॉट पनडुब्बी के स्थान की पहचान करने, पाठ्यक्रम बदलने, लक्ष्य को घेरने और फिर एक निहत्थे टॉरपीडो के साथ डमी पर फायर करने में सक्षम था. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)

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इस प्रयोग का जिक्र 2010 में हार्बिन इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक पेपर में किया था, जिसे पिछले सप्ताह ही ही सार्वजनिक किया गया है. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)

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प्रोफेसर लियांग गुओलॉन्ग ने लिखा है कि "भविष्य के पानी के नीचे युद्ध की जरूरत मानव रहित प्लेटफार्मों के लिए नए विकास के अवसर लाती है." हालांकि जिस ताइवान स्ट्रेट पर चीन ने ये प्रयोग किए हैं, उस पर वह अपना दावा करता है. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images) 

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वहीं चीन के इस नए रोबॉट को लेकर जानकारी ऐसे वक्त में सामने आई है, जब हाल ही में चीन ने जापान को ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिकी सेना के साथ शामिल होने की पेशकश के खिलाफ चेतावनी दी थी. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)

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चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि अमेरिका के साथ चीन से ताइवान की रक्षा करने की बात कहके जापान ‘अपनी खुद की कब्र खोद रहा है’. इसमें जापान को चीनी सेना के खिलाफ शक्तिहीन बताया गया और चेतावनी दी गई कि वह बीजिंग की रेखाओं को पार ना करे. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)

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हालांकि यूयूवी की बात करें तो इनका इस्तेमाल पहले से ही कॉमर्शियल शिपिंग कंपनियां कर रही हैं, लेकिन इनका कभी युद्ध में इस्तेमाल नहीं हुआ है. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty Images)

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