चीन पाकिस्तान को चार हमलावर ड्रोन देने की तैयारी में है. इन ड्रोन्स के साथ वह इनसे दागे जाने वाले हथियार भी देगा. चीन का कहना है कि वह इस ड्रोन के जरिए पाकिस्तान में उसकी मदद से बन रहे इकोनॉमिक कॉरिडोर और ग्वादर बंदरगाह पर अपने नए चीनी नौसेना बेस को बचाएगा. (फोटोः Paris Air Show)
ग्वादर बलूचिस्तान के दक्षिण पश्चिम में हैं. यहां पर चीन अपना नौसेना बेस बनाने की तैयारी में है. इतना ही नहीं चीन ने पाकिस्तान में इकोनॉमिक कॉ़रिडोर, सड़कों आदि पर 60 बिलियन डॉलर यानी 4.48 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है. (फोटोः AFP)
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक चीन पाकिस्तान को दो सिस्टम दे रहा है. हर सिस्टम में एक लॉ़न्च ग्राउंड स्टेशन और दूसरा ड्रोन होगा. चीन और पाकिस्तान मिलकर 48 हमलावर ड्रोन्स पर काम कर रहे हैं. इन ड्रोन्स का उपयोग पाकिस्तान अपनी वायुसेना के लिए करेगा. (फोटोः AFP)
इस ड्रोन का नाम है जीजे-2 हमलावर ड्रोन (GJ-2 Drones). ये चीन के विंग लूंग-2 (Wing Loong-2) का अत्याधुनिक मॉडल है. चीन विंग-लूंग-2 ड्रोन को कई एशियाई देशों में बेच चुका है. (फोटोः रॉयटर्स)
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार चीन ने कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अल्जीरिया, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात को 2008 से 2018 के बीच अपने 163 ड्रोन्स बेच चुका है. (फोटोः रॉयटर्स)
कहा जाता है कि चीन GJ-2 Drones में एक साथ 12 मिसाइलें लग सकती है. ये मिसाइलें हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम हैं. फिलहाल इन ड्रोन्स का उपयोग लीबिया में हो रहा है. जिसमें चार पिछले दो महीनों में मार गिराए गए हैं.
भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच पाकिस्तान को हमलावर ड्रोन देना भारत के लिए थोड़ी चिंता की बात है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार भारत को अब मीडिया अल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) से लैस प्रीडेटर-बी ड्रोन (Predator-B Drone) की योजना फिर से शुरू करनी पड़ सकती है. (फोटोः USAF)
प्रीडेटर-बी ड्रोन सर्विलांस कर टारगेट को नेस्तानाबूत कर देता है. भारतीय नौसेना प्रीडेटर-बी के नौसैनिक संस्करण के लिए अमेरिका से बात कर रही है. लेकिन इसकी कीमत इतनी ज्यादा हो रही है कि ऐसा ड्रोन लेने की योजना बन रही है, जो सर्विलांस भी करे और हमला भी. (फोटोः USAF)
Predator-B Drone को एमक्यू-9 रीपर (MQ-9 Reaper) भी कहते हैं. इस ड्रोन ने इराक, अफगानिस्तान और सीरिया में आतंकियों की धज्जियां उड़ा दी थीं. इसमें 4 हेल-फायर मिसाइल (Hell Fire Missile) लगते हैं और दो लेजर गाइडेड मिसाइल.
भारत में डीआरडीओ और कुछ निजी कंपनियां भी अपने हमलावर और सर्विलांस वाले ड्रोन बना रहे हैं. जिन्हें लेकर काम चल रहा है. भारत के पास इस समय बेहतरीन रुस्तम (Rustom) ड्रोन है. जो इन सभी ड्रोन्स की तरह ही काम कर सकता है. (फोटोः DRDO)