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दावाः वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा बैल जिसकी अगली पीढ़ी नर ही पैदा होगी

aajtak.in
  • 27 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 9:37 AM IST
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बैल पैदा किया है जिसकी अगली पीढ़ियां ज्यादातर नर ही पैदा होंगी. इस बैल के जीन्स में बदलाव करके इस इसे लायक बनाया गया है. ऐसा करने के पीछे की वजह ये है कि फूड इंडस्ट्री में नर बैलों की मांग ज्यादा है. (फोटोः UCDAVIS)

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इस बैल का नाम है कॉस्मो (COSMO). इसे कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, डेविस (University of California, DAVIS) के वैज्ञानिकों ने पैदा कराया है. इसके जीन्स में ऐसे बदलाव किए गए हैं, जिसकी वजह से इसके जो बछड़े पैदा होंगे वो नर ही पैदा होंगे.  (फोटोः UCDAVIS)

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मांस उद्योग में नर बैलों की मांग ज्यादा है. क्योंकि उनका वजन ज्यादा होता है. वो गायों की तुलना में अपने वजन के मुताबिक 15 फीसदी ज्यादा मांस देते हैं. जबकि, गायों का उपयोग डेयरी उत्पादों के लिए किया जाता है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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कॉस्मो (COSMO) गायों की ऐसी प्रजाति से विकसित किया गया नर बछड़ा है, जिसे दूध के लिए नहीं बल्कि मांस के लिए जाना जाता है. गायों की इस प्रजाति की मांग दुनियाभर में मांस के लिए होती है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने अप्रैल के महीने में कॉस्मो (COSMO) का जन्म दिलाया. जब यह पैदा हुआ तब इसका वजन 110 पाउंड यानी करीब 50 किलोग्राम था. इतना वजन एक स्वस्थ नर बछड़े के लिए सही माना जाता है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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काले रंग के कॉस्मो (COSMO) के जीन्स में बदलाव कर उसके क्रोमोसोम-17 में एसआरवाई जीन (SRY Gene) डाला गया है. इसकी जीन की वजह से भविष्य में कॉस्मो (COSMO) सिर्फ नर बछड़े ही पैदा करने में मदद करेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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एसआरवाई जीन (SRY Gene) नर विकास को बढ़ावा देता है. इस जीन के रहने से इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि जीव के अंदर कौन से प्रभावी क्रोमोसोम्स हैं. आमतौर पर XY क्रोमोसोम्स नर जीव पैदा करता है. जबकि, XX मादा जीव. लेकिन एसआरवाई जीन (SRY Gene) डालने के बाद XX क्रोमोसोम कमजोर पड़ जाता है और नर गुणसूत्र प्रभावी हो जाते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एनिमल जेनेटिसिस्ट एलिसन वैल ऐनेनाम ने बताया कि हमें उम्मीद है कि कॉस्मो (COSMO) की अगली पीढ़ियां नर ही पैदा होंगी. इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि  कॉस्मो (COSMO) किस मादा के साथ संबंध बनाता है. या उस मादा के गुणसूत्र कितने प्रभावी हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)


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एलिसन ने बताया कि हमने CRISPR तकनीक से कॉस्मो (COSMO) के जीन्स में बदलाव किया है. इससे फायदा ये हुआ कि हमें उसके पूरे जीन्स को बदलना नहीं पड़ा. सिर्फ एसआरवाई जीन (SRY Gene) डालकर हमारा काम हो गया. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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एलिसन ने बताया कि कॉस्मो (COSMO) अभी बहुत छोटा है. फिलहाल हम उसके खानपान का पूरा ध्यान रख रहे हैं. उसे खूब खेलने देते हैं ताकि उसकी चुस्ती-फु्र्ती बनी रहे. 12 महीने के बाद हम उसे किसी मादा के साथ समय बिताने देंगे, ताकि हम अपने प्रयोग का नतीजा देख सकें. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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अगर इसकी वजह से पैदा होने वाली अगली पीढ़ी नर पैदा होती है तो हमारा प्रयोग सफल रहेगा. क्योंकि उसके जीन्स में भी एसआरवाई जीन (SRY Gene) प्रभावी होगा जो आगे चलकर हमें फिर नर बैल ही पैदा करके देगा. हम ये मानकर चल रहे हैं 75 फीसदी नर और 25 फीसदी मादा पैदा होंगे. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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