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QRSM का टेस्ट सफल, चीन दिखा रहा था आंखें तब भारत ने की थी इस मिसाइल की तैनाती

aajtak.in
  • 17 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:26 AM IST
DRDO successfully tests Quick Reaction Surface to Air Missile
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भारत ने अपनी रक्षा शक्ति में इजाफा करते हुए मंगलवार को एक शानदार और तेज हथियार का सफल परीक्षण किया. भारत ने क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (Quick Reaction Surface to Air Missile - QRSM) का सफल परीक्षण किया. QRSM मिसाइल ने हवा में मौजूद एक मानवरहित विमान को निशाना बनाया. 

DRDO successfully tests Quick Reaction Surface to Air Missile
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देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है. राजनाथ ने कहा कि DRDO ने QRSM मिसाइल लॉन्च करके एक मील का पत्थर हासिल किया है. यह मिसाइल जमीन से हवा में मार करने वाला हथियार है. 

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राजनाथ सिंह ने लिखा कि डीआरडीओ ने लगातार दो बार QRSM का सफल परीक्षण कर अपनी ताकत को दिखाया है. आज के परीक्षण से इस मिसाइल की राडार और सीधे हमला करने की क्षमता के सटीक प्रदर्शन का पता चलता है. हवा में मौजूद मानवरहित विमान बंशी (Banshee - फोटो में) को सीधे मार गिराकर इस मिसाइल ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है. 

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DRDO ने QRSM मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर रेंज में किया है. यह मिसाइल 3 किलोमीटर से लेकर 30 किलोमीटर तक की रेंज में आने वाले दुश्मन की मिसाइलों, विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन्स को नष्ट कर सकता है. 

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QRSM मिसाइल की लंबाई 98 फीट है. सबसे खतरनाक है इसकी गति. ये मिसाइल 4.7 मैक की गति से दुश्मन पर हमला करता है. यानी 5758 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दुश्मन की तरफ बढ़ती है. मतलब एक सेकेंड में करीब 2 किलोमीटर की दूरी तय करेगा. इतनी गति से हमला करने का मतलब है कि दुश्मन को बचने का कोई मौका नहीं मिलेगा. 

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QRSM मिसाइल किसी भी मौसम और किसी भी जगह से दागी जा सकती है. इसे एक बार दाग दिया जाए तो इसे दुश्मन किसी भी तरह से रोक नहीं सकता. न ही इसके कम्यूनिकेशन सिस्टम को बाधित कर सकता है. क्योंकि इसमें दुश्मन के राडार को फेल करने की क्षमता है. यानी दुश्मन के राडार में जब तक यह दिखेगा तब तक टारगेट ध्वस्त हो चुका होगा. 

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चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान जून के महीने में भारतीय सेनाओं ने QRSM मिसाइल की तैनाती पूर्वी लद्दाख में की थी. यह मिसाइल सेना के लिए जरूरत पड़ने पर तैनात कर दी जाती है. यह पल झपकते ही दुश्मन पर हमला करती है. एक बार टारगेट लॉक हो जाए तो उसे कोई नहीं बचा सकता. 

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डीआरडीओ के साथ इसे बनाने में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने मदद की है. इसके अलावा इसके लॉन्चपैड वाहन बनाने में अशोक लीलैंड और टाटा मोटर्स ने गाड़ियां मुहैया कराई हैं. इसे आप किसी भी दुर्गम स्थान तक ले जा सकते हैं. 

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