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बड़ा दावाः मंगल ग्रह पर रह सकते हैं धरती के ये चार जीव

aajtak.in
  • 25 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST
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धरती के जीवों को रहने के लिए अपने ही सौर मंडल में एक नया ग्रह मिल सकता है. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि है कि धरती के कुछ जीव इस ग्रह पर रह सकते हैं. इस ग्रह का नाम है मंगल (Mars). मंगल ग्रह के वातावरण में धरती के कुछ जीव खुद को बचा सकते हैं. वहां रह सकते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर किस आधार पर वैज्ञानिकों ने यह बड़ा दावा किया है?

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दुनियाभर के वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह (Mars Planet) पर करोड़ों साल पहले जीवन रहा होगा. इसके सबूत भी मिले हैं. हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने बताया था कि मंगल ग्रह पर बाढ़ आई थी. वहां सूक्ष्म जीवों के होने के कुछ सबूत भी मिले हैं. 

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मंगल ग्रह पर धरती के कौन से जीव रह सकते हैं, इसे लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ अरकंसास के सेंटर फॉर स्पेस एंड प्लैनेटरी साइंसेज के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी की. उन्होंने बताया कि धरती पर मिलने वाले चार प्रजातियों के जीव मंगल ग्रह पर रह सकते हैं. 

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मंगल ग्रह पर रहना बेहद मुश्किल है. वहां बेहद कम दबाव का वायुमंडल है. साथ ही वातावरण और मौसम बेहद असुरक्षित और तेजी से बदलने वाला है. ऐसी स्थिति में धरती पर रहने वाले जीवों का वहां रहना मुश्किल है. लेकिन धरती पर मौजूद चार प्रजातियों के माइक्रो-ऑर्गेनिज्म यानी सूक्ष्म जीव वहां रहने लायक हैं. 

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यूनिवर्सिटी ऑफ अरकंसास के शोधकर्ताओं की स्टडी रिपोर्ट हाल ही में ओरिजिंस ऑफ लाइफ एंड इवोल्यूशन ऑफ बायोस्फेयर (Origins of Life and Evolution of Biospheres) जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसमें बताया गया है कि धरती पर मौजूद किस तरह के जीव मंगल ग्रह पर रह सकते हैं. 

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धरती के जो जीव मंगल ग्रह पर रह सकते हैं उन्हें मीथैनोजेन्स (Methanogens) कहते हैं. ये बेहद प्राचीन सूक्ष्म जीव हैं, जो किसी भी तरह के कम दबाव वाले वातावरण में रहने योग्य होते हैं. इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती. ये बुरे से बुरे वातारण में खुद को सर्वाइव कर लेते हैं. 

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धरती पर मीथैनोजेन्स गीली जगहों पर, समुद्र में यहां तक जानवरों के पाचन नली में भी पाए जाते हैं. ये हाइड्रोजन और कार्बन डाईऑक्साइड खाते हैं और मल की जगह मीथेन गैस निकालते हैं. नासा के कई मिशन से ये बात स्पष्ट हुई है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में मीथेन गैस प्रचुर मात्रा में है. हालांकि ये पता नहीं चल पाया है कि वहां पर इतना मीथेन कहां से पैदा हो रहा है. 

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यूनिवर्सिटी ऑफ अरकंसास के शोधकर्ताओं की लीडर रेबेका मिकोल कहती हैं कि मंगल ग्रह पर मीथेन गैस है. या तो वो कई करोड़ साल पहले मौजूद जीवों से निकली है. या फिर आज भी वहीं पर ऐसे जीव हैं, जो मीथेन के जरिए जीवित हैं. ऐसे में हम ये उम्मीद कर सकते हैं कि धरती के ये मीथैनोजेन्स मंगल ग्रह पर सर्वाइव कर सकते हैं. ये हो सकता है कि कुछ दिन या कुछ हफ्ते ही करें, लेकिन कर सकते हैं. 

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हम लोग पिछले 10 सालों से मीथैनोजेन्स का अध्ययन कर रहे हैं. जो चार मीथैनोजेन्स मंगल ग्रह पर जी सकते हैं वो हैं- मीथैनोथर्मोबैक्टर वोल्फी (Methanothermobacter wolfeii), मीथैनोसार्सिना बारकेरी (Methanosarcina barkeri), मीथैनोबैक्टीरियम फॉर्मिसिकम (Methanobacterium formicicum) और मीथैनोकोकस मारिपालुडिस (Methanococcus maripaludis). ये सभी मीथैनोजेन्स बिना ऑक्सीजन के रह सकते हैं. इनपर कब दबाव या रेडिएशन का असर भी नहीं होता. 

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रेबेका मिकोल ने बताया कि हमारी गणना और स्टडी के अनुसार ये चारों मीथैनोजेन्स मंगल ग्रह पर तीन से 21 दिनों तक जीवित रह सकते हैं. ये भी हो सकता है कि ये वहां पर ज्यादा दिन जी जाएं और अपनी कॉ़लोनी बना लें. ये मीथैनोजेन्स माइनस 100 डिग्री सेल्सियस तक तापमान भी बर्दाश्त कर सकते हैं. मंगल ग्रह पर ज्यादातर सर्दी ही रहती है. 

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