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IAF की गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन फिर से एक्टिव, करगिल में बरसाए थे दुश्मन पर बम

aajtak.in
  • 10 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:55 AM IST
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10 सितंबर यानी आज का दिन भारतीय वायुसेना के इतिहास के स्वर्णिम दिनों में गिना जाएगा. आज मल्टीरोल कॉम्बैट फाइटर जेट राफेल आधिकारिक रूप से अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में वायुसेना में शामिल होगा. यहीं गोल्डन एरो-17 स्क्वॉड्रन फिर से एक्टिव हो जाएगा. यह वही स्क्वॉड्रन है जिसने तीन बार पाकिस्तान को धूल चटाई है. इस स्क्वॉड्रन को फिर से जिंदा किया गया है. 

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गोल्डन एरो 17 स्कॉड्रन में 18 राफेल लड़ाकू विमान होंगे- तीन ट्रेनर और 15 फाइटर जेट्स. 17 स्कॉड्रन का गठन 1 अक्टूबर 1951 को हुआ था. फ्लाइट लेफ्टिनेंट डीएल स्पिंगगिट इसके मुखिया थे. 1957 में इसमें हॉकर हंटर एयरक्राफ्ट और 1975 में मिग-21 ने इसमें शामिल किए गए थे. इस स्क्वॉड्रन ने 1965, 1971 और 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान की हालत पस्त कर दी थी. 

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17 स्कॉड्रन के स्कॉड्रन लीडर अजय आहूजा करगिल युद्ध में दुश्मन के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया था. वायुसेना ने राफेल विमानों की तैनाती के लिए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. इन तैयारियों में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और पायलटों का प्रशिक्षण भी शामिल है. राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर ही तैनात किया जाएगा.

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इस एयर फोर्स स्टेशन को वायुसेना के सबसे अहम बेस में से एक माना जाता है. पाकिस्तान सीमा यहां से करीब 220 किलोमीटर दूर है. राफेल विमानों के दूसरे स्क्वॉड्रन की तैनाती पश्चिम बंगाल के हासिमारा स्थिति एयर फोर्स स्टेशन पर होगी. 

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राफेल में हेल्मेट माउंटेड डिस्पले, राडार वार्निंग रिसिवर, लो बैंड जैम्मर, 10 घंटे तक फ्लाइट डाटा रिकार्डिंग, इंफ्रा रेड सर्च, ट्रैकिंग सिस्टम, परमाणु हथियार ले जाने क्षमता एवं अन्य कई फीचर हैं. राफेल पर देश के पश्चिमी और उत्तरी फ्रंट की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी होगी.

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स्क्वॉड्रन के पायलटों ने विभिन्न मोर्चों पर अपनी उच्च किस्म के सैन्य कौशल का प्रदर्शन किया है. गोवा लिब्रेशन में 1961 से 1965 तक स्क्वॉड्रन ने कई ऑपरेशन किए. 1971 में भारत-पाक युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई. 1988 में स्क्वॉड्रन को प्रेजिडेंट कलर से सम्मानित किया गया. 

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1999 कारगिल युद्ध में स्क्वॉड्रन ने तब विंग कमांडर रहे बीएस धनोआ के नेतृत्व में कई ऑपरेशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. पूर्व वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ भी इसी स्कॉड्रन से ताल्लुक रखते थे. भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था.

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अंबाला के इस एयर बेस से पाकिस्तान की सीमा महज 220 किलोमीटर है. विशेषज्ञ बताते हैं कि राफेल विमान अंबाला से महज 20 मिनट के अंदर पाकिस्तान में घुसकर इस्लामाबाद पर हमले कर सकते हैं. पाकिस्तान के पास राफेल की टक्कर का कोई विमान नहीं है. पाकिस्तान के पास F-16 है लेकिन अकेला राफेल दो एएफ-16 के बराबर है.

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राफेल पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है. राफेल में जितना तगड़ा रडार सिस्टम है उतना एफ-16 में नहीं है. राफेल का रडार सिस्टम 100 किलोमीटर के दायरे में एकबार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है जबकि पाकिस्तानी एफ-16 का रडार 84 किलोमीटर के दायरे में केवल 20 टारगेट को ही पहचान सकता है. 

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