चीन कुछ दिनों पहले अपने एक अनियंत्रित रॉकेट के चलते सुर्खियों में बना हुआ था और अब ग्वांगडोंग शहर में मौजूद ताइशन न्यूक्लियर रिएक्टर से रेडिएशन फैलने की खबर ने सनसनी मचा दी है. लेकिन क्या वाकई रेडिएशन लीक होने के चलते चीन में तबाही का खतरा मंडरा रहा है? (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
दरअसल चीन के इस न्यूक्लियर पावर प्लांट को बनाने में फ्रेंच कंपनी फ्रैमाटोम की अहम भूमिका रही. इस कंपनी ने ही लीकेज के कारण परमाणु संयंत्र में रेडियोलॉजिकल खतरे की चेतावनी दी थी. फ्रैमाटोम ने अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी को इस सिलसिले में एक लेटर भी लिखा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
फ्रेंच कंपनी का कहना था कि चीन के गुआंगदोंग प्रांत में मौजूद यह न्यूक्लियर पावर प्लांट कहीं बंद न हो जाए, इससे पहले ही चीन के सुरक्षा अधिकारियों ने इसके बाहर विकिरण की स्वीकार्य सीमा को बढ़ा दिया है. अमेरिकी अधिकारियों से मिली जानकारी के बाद सीएनएन से इस मामले का खुलासा किया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
फ्रैमाटोम की पेरेंट फर्म ईडीएफ ने भी इस मामले में एक बयान जारी किया है. ईडीएफ की न्यूक्लियर पावर प्लांट कंपनी में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ईडीएफ ने बयान में कहा कि इस प्लांट के प्राइमरी सर्किट में कुछ नोबेल गैसों में बढ़ोतरी देखने को मिली है और ये समस्या फ्यूल रॉड्स के चलते हो सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परमाणु संयंत्र में रेडिएशन लीक तो हुआ है लेकिन ये सिर्फ प्राइमरी सर्किट में है. रेडिएशन लीक इस सर्किट के बाहर नहीं जा पाया है और अब तक इस न्यूक्लियर प्लांट के बाहर किसी तरह के रेडियोएक्टिव पदार्थ को नहीं डिटेक्ट किया गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
हॉन्गकॉन्ग के लीडर कैरी लैम ने भी कहा है कि शहर में रेडिएशन लेवल सामान्य हैं. वही इस मामले में फ्रेमाटोम कंपनी ने अब बयान जारी करते हुए कहा है कि हमें जितना भी डाटा मिला है, उससे हम कह सकते हैं कि ये न्यूक्लियर संयंत्र सुरक्षा मानकों के भीतर ही काम कर रहा है और ये दरअसल इस परमाणु संयंत्र की परफॉर्मेंस से जुड़ा मुद्दा हो सकता है.(प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
हालांकि वर्ल्ड न्यूक्लियर इंडस्ट्री स्टेटस रिपोर्ट के लेखक और पेरिस में न्यूक्लियर एनालिस्ट के तौर पर काम करने वाले माइकल शनाइडर ने इस स्थिति पर नजर रखने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति से फिलहाल परेशानी नजर नहीं आ रही है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है और इस संयंत्र को लगातार मॉनीटर करने की जरूरत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
शनाइडर ने कहा इस प्लांट में फ्यूल रॉड को बदलने की जरूरत पड़ेगी. जैसे हालात हैं, उससे कहा जा सकता है कि अभी के लिए ये न्यूक्लियर प्लांट ऐसे ही ऑपरेट करता रहेगा क्योंकि प्राइमरी सर्किट में रेडिएशन को उस स्तर पर नहीं माना जा रहा है जिसके चलते रिएक्टर को बंद करना पड़ जाए. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
उन्होंने आगे कहा कि प्राइमरी सर्किट में मौजूद रेडिएशन कचरे को साफ करना चीन और फ्रांस की उन कंपनियों के लिए काफी महंगा सौदा हो सकता है जिन्होंने इस न्यूक्लियर पावर प्लांट को खरीदा है. प्राइमरी सर्किट किसी भी न्यूक्लियर पावर प्लांट का वो हिस्सा होता है जो रिएक्टर में पानी को गर्मी में ट्रांसफर करता है और भाप पैदा करने के बाद बिजली पैदा करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
गौरतलब है कि ताइशन प्लांट अपने रिएक्टर डिजाइन के चलते एक हाई-प्रोफाइल प्लांट बना हुआ है. इस रिएक्टर डिजाइन को ईपीआर कहा जाता है. इस प्लांट में ऐसे दो रिएक्टर्स मौजूद हैं जिन्हें जर्मनी की कंपनी सीमेन्स और फ्रांस की कंपनी ईडीएफ ने साथ मिलकर तैयार किया है. ईडीएफ कंपनी इसी ईपीआर डिजाइन के सहारे चीन से बाहर भी न्यूक्लियर प्लांट बनाना चाहती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)