अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का पर्सिवरेंस रोवर 18 फरवरी यानी आज देर रात 1 से 2 बजे की बीच मंगल की सतह पर लैंड करेगा. यह लैंडिंग काफी खतरनाक जेजेरो क्रेटर में हो रही है. अब तक मंगल ग्रह पर दुनिया भर 8 देशों ने अपने यान भेजे हैं. इनमें ऑर्बिटर, फ्लाइबाय, लैंडर और रोवर शामिल हैं. इन आठ देशों में सबसे ज्यादा सफलता अगर किसी को मिली है तो वह अमेरिका को मिली है. अमेरिका ने मंगल ग्रह पर अब तक पांच रोवर भेजे हैं. ये वहां की धरती पर घूम-घूम कर रिसर्च करते हैं. यहां धरती पर मौजूद इंसानों को नई-नई जानकारियां देते हैं. आइए जानते हैं कि अमेरिका ने कब कौन सा रोवर मंगल ग्रह पर भेजा. (फोटोःNASA)
मार्स पाथफाइंडर/सोजॉर्नर रोवर (Mars Pathfinder/Sojourner): NASA ने इसे 4 दिसंबर 1996 को लॉन्च किया था. यह 27 सिंतबर 1997 को मंगल ग्रह के एरेस वालिस (Ares Vallis) नामक स्थान पर उतरा था. इस मिशन के पीछे मकसद था मंगल ग्रह के मौसम की जानकारी लेना. मिशन का नाम था मार्स एनवायरनमेंटल सर्वे (MESUR). इसमे पाथफाइंडर लैंडर था. जबकि सोजॉर्नर रोवर था. यह मिशन 10 मार्च 1998 तक चला. यानी कुल मिलाकर पांच महीने तक नासा का संपर्क इस रोवर के साथ था. सोजॉर्नर रोवर ने वहां मौजूद पत्थरों और मिट्टी की जांच की थी. यह रोवर अपने लैंडर से बहुत दूर नहीं गया था. लेकिन इसने 16 स्थानों की कुल 550 तस्वीरें धरती पर भेजी थीं. (फोटोःNASA)
स्पिरिट रोवर (Spirit Rover): NASA ने 10 जून 2003 को स्पिरिट रोवर को मंगल ग्रह के लिए रवाना किया था. यह 4 जनवरी 2004 को मंगल ग्रह की सतह पर उतरा था. 25 मई 2011 को इस मिशन को खत्म घोषित कर दिया गया. इस दौरान स्पिरिट रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर 7.73 किलोमीटर की यात्रा की. इस मिशन का मकसद था मंगल ग्रह पर बारिश, वाष्पीकरण, धूल, मिट्टी और गर्मी का पता लगाना. इसके अलावा मिट्टी में मौजूद खनिज तत्वों की जानकारी इकट्ठा करना. नासा इसके जरिए यह जानना चाहता था कि क्या मंगल ग्रह पर पहले कभी जीवन था. या भविष्य में मंगल ग्रह पर रहा जा सकता है. (फोटोःNASA)
ऑर्प्चयूनिटी रोवर (Opportunity Rover): एक महीने बाद ही NASA ने फिर एक रोवर मंगल ग्रह के लिए रवाना किया. इसे नासा ने 7 जुलाई 2003 को लॉन्च किया था. यह 25 जनवरी 2004 को मंगल ग्रह की सतह पर उतरा था. इस मिशन को 13 फरवरी 2013 को खत्म घोषित कर दिया गया. अपने मिशन के दौरान ऑर्प्चयूनिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर 45.16 किलोमीटर की दूरी तय की थी. ऑर्प्चयूनिटी रोवर ने मंगल ग्रह की इतनी बेहतरीन तस्वीरें भेजी कि दुनिया दंग रह गई. इनसे जियोलॉजिकल नक्शे भी बनाए. खनिजों की जांच की. इसकी तस्वीरों की मदद से आज भी दुनिया भर के वैज्ञानिक रिसर्च या अध्ययन करते हैं. (फोटोःNASA)
मार्स साइंस लेबोरेटरी/क्यूरियोसिटी रोवर (Mars Science Laboratory/Curiosity Rover): NASA ने फिर आठ साल के बाद 26 नवंबर 2011 को मंगल ग्रह के लिए नया मिशन भेजा. इसमें क्यूरियोसिटी रोवर था. इसने 6 अगस्त 2012 को मंगल ग्रह के गेल क्रेटर में मौजूद ब्रैडबरी नामक स्थान पर लैंडिंग की थी. यह रोवर आज भी काम कर रहा है. अभी तक इस मिशन को खत्म करने की घोषणा नहीं की गई है. 30 जनवरी 2021 तक क्यूरियोसिटी रोवर मंगल की सतह पर 24.24 किलोमीटर की यात्रा की है. इस मिशन का मकसद था ऑर्गेनिक कार्बन कंपाउंड्स की खोज करना. जीवन के बिल्डिंग ब्लॉक्स की खोज करना. जैसे- नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, फास्फोरस आदि. (फोटोःNASA)
मंगल ग्रह पर अब तक सबसे ज्यादा मिशन अमेरिका ने 29, दूसरे नंबर पर सोवियत संघ/रूस ने 22 और तीसरे नंबर पर यूरोपियन यूनियन ने 4 मिशन भेजे हैं. भारत, जापान, चीन और यूएई ने एक-एक मिशन भेजे हैं. मंगल ग्रह पर अब तक 8 देशों ने अब तक मंगल मिशन भेजे हैं. ये हैं- अमेरिका, सोवियत संघ/रूस, जापान, यूरोपियन यूनियन, इंग्लैंड, चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात. (फोटोःगेटी)
भारत ने 5 नवंबर 2013 को मंगलयान नाम का ऑर्बिटर भेजा जिसने एक बार में ही मंगल की कक्षा में प्रवेश कर लिया. इससे पहले किसी भी देश को पहली बार में ये सफलता नहीं मिली थी. ISRO के साइंटिस्ट्स ने ये कमाल करके दुनिया भर के लोगों हैरानी में डाल दिया था. (फोटोःISRO)