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हर हफ्ते एक डेबिट कार्ड और पूरे जीवन में 20 किलो तक प्लास्टिक खा रहे हैं लोग

aajtak.in
  • 09 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST
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जरा सोचिए आप अपने घर में पूछें रात के खाने में क्या है? और आपको अपने परिजनों से जवाब मिले, क्रेडिट कार्ड बर्गर, या पीवीसी पाइप तो आपको कैसा लगेगा. लेकिन ये बिल्कुल सच है. आप और हम एक सप्ताह में एक डेबिट या क्रेडिट कार्ड इतना प्लास्टिक ही अब खा रहे हैं. (तस्वीर - रॉयटर्स)

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अब आप सोच रहे होंगे हम ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं और इसका आधार क्या है तो जान लीजिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल द्वारा 2019 के एक रिसर्च में ये सामने आया है. अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि जिन चीजों का हम खाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं उसमें मुख्य रूप से संक्रमित पीने के पानी और शेलफिश जैसे भोजन के माध्यम से, हमारे पूरे पाचन तंत्र में प्लास्टिक जा रहा है. (तस्वीर - रॉयटर्स)

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इतना ही नहीं हम एक साल में फायरमैन के हेलमेट में जितनी मात्रा में प्लासिटक लगी होती है ना उतना खा लेते हैं. यह आपको बहुत ज्यादा नहीं लग सकता है, लेकिन अगर इसे जोड़ा जाए तो एक दशक में हम 2.5 किलोग्राम प्लास्टिक (5.5 पाउंड) खा सकते हैं, जो प्लास्टिक के पाइप के दो बड़े आकार के टुकड़ों के बराबर है. (तस्वीर - रॉयटर्स)

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अगरे इसको पूरे जीवनकाल में देखें तो हम लगभग 20 किलोग्राम (44 पौंड) माइक्रोप्लास्टिक का उपभोग करते हैं. पिछले 50 वर्षों में सस्ती डिस्पोजेबल उत्पादों के व्यापक उपयोग के साथ प्लास्टिक उत्पादन में वृद्धि हुई है. जैसा कि प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं है, लेकिन केवल छोटे टुकड़ों में टूट जाता है, यह अंततः हर जगह, अव्यवस्थित समुद्र तटों और समुद्री वन्यजीवों के साथ-साथ खेतों में जाकर मिल जाता है.(तस्वीर - रॉयटर्स)

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दक्षिणी इंग्लैंड में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर, मैल्कम हडसन ने  वन्यजीव संरक्षित तटरेखा पर मनके जैसे प्लास्टिक के छर्रों को दिखाया जो हर जगह प्लास्टिक के पहुंच जाने की एक निशानी है. हडसन का कहना है कि इन माइक्रोप्लास्टिक्स पर कई शोध किए गए हैं, लेकिन पर्यावरण में नैनोप्लास्टिक्स नामक छोटे कणों की मात्रा भी बढ़ रही है, जिनका पता लगाना कहीं अधिक कठिन है. "यह हमारे रक्त या लसीका प्रणाली में जा रहा है और हमारे अंगों को बीमार कर रहा है. (तस्वीर - रॉयटर्स)

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उन्होंने कहा ये प्लास्टिक के कण थोड़े समय के बम हैं जो वन्यजीवों और लोगों द्वारा अवशोषित किए जा रहे हैं फिर इसके संभावित रूप से हानिकारक परिणाम दिखेंगे. (तस्वीर - रॉयटर्स)

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