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26/11 के बाद भारत की इतनी बढ़ी ताकत, दुश्मन की पलकें भी झपकी तो खैर नहीं

aajtak.in
  • 26 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST
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26/11 हमले को आज 12 साल हो गए. ऐसी तारीख जो भारतीय जवानों की बहादुरी के लिए तो जानी जाएगी लेकिन उससे ज्यादा उस बदनामी और कमियों के लिए जो उस समय हुई. कमजोर सूचना, कमजोर सामंजस्य, कमजोर परिवहन, आपसी तालमेल में कमी, मीडिया के जरिए खबरों के बाहर आने से आतंकियों को सूचना मिलना... और न जाने क्या-क्या? ऐसी कई कमियां थीं देश में क्योंकि भारत ने इससे बड़ा आतंकी हमला नहीं देखा था. पर आज भारत पूरी तरह से तैयार है. इसके पास अंतरिक्ष की निगाहें हैं, सुरक्षा है, संचार है. कुल मिलाकर कहें तो भारत आतंकियों से लड़ने और मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सक्षम है.

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समुद्र में ऐसे बढ़ाई सुरक्षा, अब हर लहर, हर नाव पर रहती है नजरः 26/11 के तुरंत बाद मैरीटाइम एजेंसीज और पुलिस को अतिरिक्त आजादी और जिम्मेदारी दी गई. उन्हें खुद से जहाज, एयरक्राफ्ट और बोट्स खरीदने की अनुमति दी गई. कोस्टल रडार्स लगाए गए. तटों के किनारे और बंदरगाहों पर ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) लगाया गया. नेशनल कमांड कंट्रोल एंड कम्यूनिकेशन नेटवर्क या NC3I, ज्वाइंट ऑपरेशंस सेंटर्स, इन्फॉरमेशन फ्यूजन सेंटर बनाया गया. कोस्टल पुलिस का गठन किया गया. ताकि सभी प्रदेशों में मछुआरों की जहाजों और नावों पर नजर रखी जा सके. 

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नौसेना ने किया ये बेहतरीन कामः 26/11 हमले के बाद नेवी ने कोस्ट गार्ड और अन्य एजेंसियों के साथ अपना कॉर्डिनेशन बढ़ाया. हर तटीय राज्य में अलग-अलग एजेंसियों के साथ मिलकर 'सागर कवच' नाम का सिक्योरिटी एक्सरसाइज करने लगी है. केंद्र में नेशनल कमेटी फॉर स्ट्रेंथेनिंग मैरीटाइम एंड कोस्टल सिक्योरिटी नौसेना और कोस्ट गार्ड के बीच सामजंस्य बिठाती है. अब नेवी और कोस्ट गार्ड को एक स्टैडंर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बता दिया गया है कि अगर फिर ऐसा कुछ हो तो उन्हें तत्काल क्या करना है. 

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कोस्ट गार्ड में ये सुधार लाया गयाः 26/11 हमले के बाद कोस्ट गार्ड में मौजूद कमियों को सुधारने की तैयारी की गई. हमले के बाद से कोस्ट गार्ड को 78 जहाज, क्राफ्टस् और बोट्स दिए गए हैं. 17 एयरक्राफ्ट दिए गए हैं. 20 नए स्टेशन बनाए गए हैं. इसके अलावा 6000 भर्तियां की गई हैं. इसके अलावा तटों के किनारे और बंदरगाहों पर ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) की जिम्मेदारी भी इन्हीं के पास है. इसके जरिए ये अपने जहाजों और मछुआरों को पहचान सकते हैं. क्योंकि देश के सभी 20 लाख मछुआरों को बायोमीट्रिक आईडी कार्ड दिए गए हैं. नेवी, कोस्ट गार्ड और कोस्टल पुलिस के पास इन्हें कभी भी चेक करने का अधिकार है. 

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तटीय इलाकों में चलाए गए सामुदायिक कार्यक्रमः मुंबई हमले के बाद लोगों को जागरूक करने के लिए तटीय इलाकों में सामुदायिक जागरुकता कार्यक्रम चलाए गए. इसे सामुदायिक पुलिसिंग कहा गया. टोल फ्री नंबर दिए गए ताकि सूचनाएं मिल सकें. मुछआरों और सरकारी लोगों के बीच बातचीत के लिए सागर नाम का ऐप बनाकर शुरू किया गया. तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरों और उनके परिवारों को पढ़ाने लिखाने का काम तेजी से शुरू किया गया. इसे अक्षर संग्राम नाम दिया गया. इसमें देश की सुरक्षा और आतंकियों के हमले के बारे सचेत रहने की जानकारी दी गई. 

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ISRO ने लॉन्च किए 3 दर्जन संचार और अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट्सः 26/11 हमले के बाद देश में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, साइबर सिक्योरिटी, तेज संचार व्यवस्था और अंतरिक्ष से सीमाओं की निगरानी रखने के लिए इसरो ने 12 सालों में 3 दर्जन सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित किए हैं. इनमें से 20 अर्थ ऑब्जरवेशन के लिए हैं. यानी ऐसे सैटेलाइट्स जिनकी मदद से दुश्मन के घर के अंदर भी नजर रखी जा सके. इसी श्रेणी के सैटेलाइट्स रीसैट, कार्टोसैट की मदद से भारत ने एयर और सर्जिकल स्ट्राइक की थी. इसके अलावा भारत ने साल 2008 के बाद से संचार व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए 18 संचार उपग्रह छोड़े हैं. इसमें ज्यादातर जीसैट सीरीज के उपग्रह हैं. 

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सागर प्रहरी बल बनाया गयाः नौसेना, कोस्ट गार्ड और स्टेट मैरीन पुलिस को मिलाकर एक नई सेना बनाई गई. इसका नाम दिया गया सागर प्रहरी बल. इसे एक ज्वाइंट ऑपरेशन सेंटर संचालित करता है. इसके इंचार्ज कोस्टल डिफेंस के कंमाडर इन चीफ होते हैं, जो नौसेना से तैनात किए जाते हैं. सागर प्रहरी बल के पास अत्याधुनिक इंटरसेप्टर शिप्स, बोट्स, जहाज हैं. साथ ही तेजी से चलने और हमला करने वाले बोट्स, सपोर्ट वेसल और संचार की तकनीक है. इसके अलावा इनके पास नए मॉनिटरिंग स्टेशन, राडार्स, इलेक्ट्रो़-ऑपटिक्स कैमरा, इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के उपकरण मौजूद हैं. 

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महाराष्ट्र में बनाई गई फोर्स वनः नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) की तर्ज पर आतंकियों से भिड़ने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने साल 2010 में नई कमांडो टुकड़ी बनाई. इसे नाम दिया गया फोर्स वन. फोर्स वन को एनएसजी की तरफ से ही ट्रेनिंग मिली है. ये आतंकियों का सफाया करने में माहिर हैं. फिलहाल महाराष्ट्र सरकार की फोर्स वन टुकड़ी में 300 कमांडो हैं. इनके पास अत्याधुनिक हथियार और वाहन हैं. ये तेजी से आतंकियों पर हमला करने में सक्षम हैं. 

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NSG कमांडों हुए और खतरनाक और आधुनिकः NSG कमांडों को नए बैटल गियर, बॉडी ऑर्मर, हेलमेट्स दिए गए. इनपर एके सीरीज की राइफलों का असर नहीं होता. नाइट विजन गॉगल्स, संचार उपकरण, बैलिस्टिक शील्ड्स, MP5A5 मशीन गन, सिग सॉअर की असॉल्ट राइफल्स और कार्बाइन, नई ग्लॉक पिस्टल्स, प्लास्टिक एक्सप्लोसिव्स और एडवांस ब्रीचिंग चार्जेस दिए गए. इसके अलावा एनएसजी को कई मोबाइल एडजस्टेबल रैंप सिस्टम, ऑर्मर्ड व्हीकल रेनो शेरपा-2, फोर्ड 550 दिए गए. ये गाड़ियां घर तोड़कर अंदर घुस सकती हैं. PSG1A1 और Barrett M98B स्नाइपर राइफल दी गईं. इसके अलावा SPAS-15 शॉटगन्स दिए गए. 

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सोशल मीडिया और मीडिया को नियंत्रित किया गयाः आतंकी हमले के दौरान लाइव प्रसारण से आतंकियों को फायदा होता है. वो सारी सूचनाएं हमलावरों को देते रहते हैं. इसलिए उस हमले के बाद से चैनलों को निर्देश दिया गया कि ऐसे समय में लाइव रिपोर्टिंग में थोड़ी देरी की जाएगी. इसके बाद आतंकियों के सोशल मीडिया साइट्स पर निगरानी रखनी शुरू की गई. ताकि वे अपनी विचारधारा को आगे न बढ़ा पाए. कई ऐसी साइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बंद कराया गया या प्रतिबंधित कराया गया. 

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साइबर सिक्योरिटीः 26/11 हमले के बाद साइबर सिक्योरिटी को बहुत ज्यादा बढ़ाया गया है. सरकार ने हाल के वर्षों में कैशलेस प्रोग्राम चलाया है. ताकि लोग कैश रुपयों का कम उपयोग करें. ऑनलाइन या यूपीआई पेमेंट करें. इससे पैसों के लेनदेन में पारदर्शिता आती है. आतंकी संगठन इस चीज का फायदा कम उठा पाएंगे. 

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