पाकिस्तान की इमरान खान सरकार और पाकिस्तान की न्यायपालिका के बीच टकराव लगातार खुलकर सामने आ रहे हैं. ताजा मामला सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार को लेकर है, जिसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर की है.
दरअसल, पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने जनरल बाजवा के सेवा में सरकार द्वारा किए गए तीन साल के विस्तार को निलंबित कर दिया था. इसके बाद सेवा विस्तार को इस शर्त के साथ छह महीने के लिए अनुमति दी कि इन छह महीनों में संसद सैन्य प्रमुख के सेवा विस्तार और इससे जुड़े अन्य मामलों पर स्पष्ट कानून बनाए.
अदालत ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि छह महीने बाद इस मामले में जो कुछ भी होगा, वह संसद के बनाए कानून के अनुरूप होगा. अगर इस दौरान कोई कानून नहीं बनता तो छह महीने बाद जनरल बाजवा की सेवा स्वत: समाप्त हो जाएगी.
इसके बाद अब इसी मामले को लेकर इमरान सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि इस फैसले में बेहद अहम संवैधानिक व कानूनी पहलुओं की अनदेखी की गई है.
आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि अदालत ने
सैन्य प्रमुख के सेवा विस्तार मामले में न्यायाधीशों के सेवा विस्तार की
नजीर को भी मद्देनजर नहीं रखा है.
सरकार ने याचिका में यह भी कहा है कि इस फैसले में कार्यपालिका के अधिकारों
को कम कर दिया गया है. कानून में सैन्य प्रमुख की सेवा अवधि के बारे में
स्पष्ट अवधि इसीलिए नहीं है क्योंकि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है कि
वह स्थितियों के हिसाब से सैन्य प्रमुख को सेवा विस्तार दें या न दें.
याचिका में कहा गया है कि सेना एक सुरक्षा संस्था है. देश के हालात पाकिस्तान के कुल सुरक्षा हालात से संबंद्ध होते हैं. इसलिए अदालत अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.