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दुनिया में चावल की कमी, भारत ऐसे संभालेगा कई देशों की मांग

aajtak.in
  • मुंबई,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST
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दुनिया में इस समय चावल की कमी है. भारत ने पहले भी दुनिया में चावल की कमी को संतुलित करने के लिए मदद की है. एक बार फिर भारत पूरी दुनिया को चावल के मामले में संभालने जा रहा है. दुनिया में चावल निर्यात करने के लिए भारत सरकार आंध्र प्रदेश में एक डीप वाटर पोर्ट का उपयोग करने जा रही है. ऐसा कई दशकों के बाद होने जा रहा है. (फोटोःगेटी)

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भारत सरकार के आदेश के अनुसार आंध्र प्रदेश के काकीनाडा डीप वाटर पोर्ट (Kakinada Deep Water Port) निर्यात होने वाले चावलों का प्रबंधन किया जा रहा है. यहां इतना ज्यादा चावल जमा हो गया कि इसके पास स्थित एंकरेज पोर्ट पर भी चावल को निर्यात के लिए रखा जा रहा है. यहीं से दुनिया भर के देशों में चावल की सप्लाई की जाएगी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यह आदेश बुधवार को देर शाम आया है. (फोटोः गेटी)

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काकीनाडा डीप वाटर पोर्ट (Kakinada Deep Water Port) भारत का सबसे बड़ी चावल प्रबंधन फैसिलिटी है. राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट बीवी कृष्णा राव ने कहा कि बंदरगाह पर माल ज्यादा जमा हो जाने से वेटिंग पीरियड चार हफ्ते तक हो गया है, पहले यह एक हफ्ते तक था. इसकी वजह से लागत बढ़ रही है और निर्यात भी सीमित हो रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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सरकार का कहना है कि काकीनाडा डीप वाटर पोर्ट (Kakinada Deep Water Port) पर चावल की खेप इसलिए ज्यादा जमा हो गई है क्योंकि इसकी मांग बहुत ज्यादा है. यह मांग इसलिए ज्यादा है क्योंकि दुनियाभर के चावल उत्पादक देशों में चावल उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गई है. वो सब भारत से चावल निर्यात करवा रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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थाईलैंड और वियतनाम चावल के बड़े उत्पादक देश हैं लेकिन पिछले कुछ महीनों में ज्यादा बारिश और उसके पहले सूखे की वजह से चावल का उत्पादन नहीं हुआ. इसलिए वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतों में इजाफा हुआ है. अब अगर भारत से ज्यादा से ज्यादा चावल दूसरे देशों में जाएगा तो भविष्य में कीमतों में कमी आ सकती है. (फोटोः रॉयटर्स)

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बीवी. कृष्णा राव कहते हैं कि इस वैश्विक मांग और निर्यात की वजह से काकीनाडा डीप वाटर पोर्ट (Kakinada Deep Water Port) से हर महीने 650,000 टन चावल निर्यात करने की तैयारी है. यह आम दिनों की अपेक्षा दोगुना है. डीप वाटर पोर्ट से ये एक्सपोर्ट अगले कुछ दिनों में शुरू कर दिया जाएगा. (फोटोः गेटी)

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बीवी. कृष्णा राव ने बताया कि भारत ने इस साल रिकॉर्ड 17 मिलियन टन चावल निर्यात किया. जबकि, पिछले साल यह 14.2 मिलियन टन था. वहीं, मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के लॉजिस्टिक्स विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी पवन अग्रवाल कहते हैं कि सरकार को उम्मीद है कि प्रीमियम बासमती चावल को छोड़कर बाकी चावल में इस साल 2 से 3 मिलियन टन निर्यात की बढ़ोतरी होगी. सरकार भी क्षमता बढ़ाने के लिए पुराने एंकरेज पोर्ट पर निवेश कर रही है. (फोटोः रॉयटर्स)

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मुंबई के एक चावल डीलर ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा कि भारत के पास प्रचुर मात्रा में निर्यात के लिए चावल मौजूद है. कीमतों की प्रतियोगिता के चलते कुछ अंतरराष्ट्रीय खरीदार थाईलैंड और वियतनाम की तरफ चले गए. क्योंकि हमारे यहां से शिपिंग में देरी होती है. लेकिन अब उम्मीद है कि इस कमी के चलते भारत के चावल की मांग दुनिया भर में फिर बढ़ेगी. (फोटोः रॉयटर्स)

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इस हफ्ते भारत की 5 फीसदी ब्रोकेन पारब्वॉयल्ड वैराइटी की 402 से 408 डॉलर प्रति टन यानी 29,321 रुपए से 29,758 रुपए प्रति टन कीमत लगाई गई है. लेकिन वियतनाम की 510 से 515 डॉलर यानी 37,197 रुपए से 37,561 रुपए और थाईलैंड की 540 डॉलर्स प्रति टन यानी 39,285 रुपए प्रति टन की बोली लगाई गई है. (फोटोः रॉयटर्स)

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भारत मुख्य तौर पर गैर-बासमती चावल का निर्यात करता है. ये चावल बांग्लादेश, नेपाल, बेनिन एंड सेनेगल जाता है. बासमती चावल का निर्यात ईरान, सऊदी अरब और इराक को होता है. मुंबई के डीलर ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में भारत पूरी दुनिया की चावल की मांग को पूरा कर देगा. इस समय थाईलैंड और वियतनाम के पास अपनी कीमतें कम करने के अलावा कोई चारा नहीं है. तभी उसके पास उसके पुराने ग्राहक बचेंगे, नहीं तो वो भारत की तरफ चले आएंगे. (फोटोः रॉयटर्स)

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