आमतौर पर आपने सास-बहू के झगड़े के किस्से ही सुने होंगे लेकिन कुछ सास-बहू ऐसी भी होती हैं जो लोगों के लिए नजीर पेश करती हैं. झारखंड से सास-बहू की ऐसी जोड़ी सामने आई है जिनमें आपसी प्रेम तो है ही, इनके बीच की कैमिस्ट्री भी गजब है. उन्होंने कोरोना काल में समय का सही इस्तेमाल करते हुए एक ऐसे ऐप का निर्माण किया, जो न सिर्फ इनके लिए बल्कि दर्जनों पढ़े-लिखे बेरोजगार व्यक्तियों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
ये मामला देश की कोयला राजधानी धनबाद का है. जहां की रहने वाली 70 वर्षीय मनोरमा सिंह और 32 साल की उनकी बहू स्वाति कुमारी ने मिलकर एक ऐप बनाया है जिसका नाम है 'गुरु-चेला' ऐप. इस ऐप को अपने मोबाइल फोन के प्लेस्टोर से भी बड़ी ही आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है.
दरअसल, इन दोनों ने मिलकर कोरोना काल में लोगों को रोजगार देने की सोची. इसके बाद इन्होंने दो महीने पहले एक ऐप बनाया जो शिक्षक-छात्रों को एक-दूसरे से मिलाता है. दोनों ऐप पर रजिस्टर कर सकते हैं. आवश्यकता अनुसार शिक्षक ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज लेने के लिए हाजिर हो जाते हैं. इससे स्कूली शिक्षा से लेकर इंजीनियरिंग, यूपीएससी, गीत, संगीत, योग, चित्रकला आदि के शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं.
इस ऐप से लोगों को मिलने वाले फायदे का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि कुछ दिनों में ही इस ऐप के जरिए 40 लोगों को रोजगार भी मिल चुका है. 110 छात्र इस ऐप की बदौलत मार्गदर्शन पा रहे हैं. शिक्षित बेरोजगार आज इस ऐप के जरिए आठ हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक की कमाई कर रहे हैं.
ऐप से आईआईटी, आईएसएम, बीआइटी सिंदरी, बीएड कर चुके छात्र भी जुड़े हैं. छात्रों की काउंसलिंग के लिए सीआइएमएफआर (सेंटल माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) के रिटायर्ड विज्ञानी डॉ. केके शर्मा भी जुड़े हैं जिससे घर बैठे ही अभिभावकों के लिए शिक्षकों की तलाश आसान हो गई है. बच्चों को भी आसानी से शिक्षक मिल रहे हैं.
इन सास-बहू का मानना है कि शिक्षितों की बेरोजगारी और बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत की खबरें परेशान करती थीं इसलिए यह ऐप बनाया है. इससे वर्ष के अंत तक 250 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है. इसमें किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा रहा है. इस ऐप के निर्माण के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 10वीं पास सास मनोरमा सिंह और स्नातक, बीएड बहू स्वाति ने दो महीने पहले फोन के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को एक-दूसरे से जोड़ना शुरू किया था.
दिल्ली विवि से कंम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे मनोरमा के नाती वत्सल सिंह को यह प्रयास अच्छा लगा. उन्होंने एक प्लेटफार्म बनाने का सुझाव दिया. उसने कहा कि ऐप बनाकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सकता है. बस मनोरमा और स्वाति ने वत्सल के सहयोग से ऐप बना लिया. ऐप को सास-बहू ने खुद से संचालित करना शुरू किया. इस ऐप में गौतम बुद्ध की ध्यानमग्न मुद्रा में तस्वीर लगी हुई है. डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन करना होता है. इसमें दो विकल्प आते हैं एक गुरु और दूसरा चेला यानी छात्र. गुरु का रजिस्ट्रेशन होने पर छात्रों की जानकारी, मोबाइल नंबर, लोकेशन मिलेगी. चेला का रजिस्ट्रेशन होने पर विषय के शिक्षकों की जानकारी मिलेगी.