लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीनी सेना के बीच तनाव थोड़ा कम जरूरी हुआ है. लेकिन यह अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. इसी बीच चीन को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं)
जून 2017 में चीन सरकार ने एक खुफिया कानून पारित किया था, जिससे सरकार की एजेंसियों को संदिग्धों के खिलाफ निगरानी करने, परिसर में छापा मारने और वाहनों और उपकरणों को जब्त करने की शक्ति मिली थी. इस बात का जिक्र अमेरिकी कांग्रेस के रक्षा सचिव की वार्षिक रिपोर्ट "सैन्य और सुरक्षा विकास, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 2019" में भी शामिल है.
चीनी कंपनियों जैसे कि हुआवेई, जेडटीई, टिकटॉक आदि को इस कानून के अनुसार, जहां कहीं भी वे काम करते हैं, चीन के राष्ट्रीय खुफिया संस्थाओं के साथ सहयोग करने करने का काम सौंपा गया है.
इस कानून के अनुच्छेद 7 में कहा गया है - "कोई भी संगठन या नागरिक राज्य के खुफिया कार्यों का समर्थन, सहायता और सहयोग कानून के अनुसार करेगा. राज्य उन व्यक्तियों और संगठनों की रक्षा करेगा जो राष्ट्रीय खुफिया कार्यों का समर्थन, सहायता और सहयोग करते हैं."
चीन में साल 2017 में बने कानून के तहत सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाली कंपनियों पर यह लागू होगा. भारत में PLA के साथ प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष लिंक वाली ऐसी ही कुछ चीनी कंपनियां हैं.
भारत और चीन के बीच सबसे बड़े संयुक्त उपक्रमों में से एक Xindia Steels ने हाल ही में कर्नाटक के कोप्पल जिले में 0.8 mtpa लौह अयस्क उत्पाद बनाना शुरू किया है. इसका मुख्य निवेशक Xinxing Cathay International Group Co Ltd (चीन) है. यह कंपनी पीएलए के सामान्य रसद विभाग के अधीनस्थ उद्यमों और संस्थानों से एक है. इस समूह ने छत्तीसगढ़ में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया है जिसमें 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.