म्यांमार में करीब एक सप्ताह पहले हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में लोगों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है. पहले अस्पताल कर्मचारियों और डाक्टरों के काम बंद करने के बाद अब कई नर्स और संत भी इस प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं. सोमवार को बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुआ. यंगून में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और सैन्य तख्तापलट का बहिष्कार किया. म्यांमार में लोगों ने न्याय की मांग वाली तख्तियां दिखाते हुए सेना की कार्रवाई का विरोध किया. (सभी तस्वीरें - रॉयटर्स)
प्रदर्शन कुछ लोगों से शुरू हुआ और इसके बाद इसमें हजारों लोग जुड़ गए. हुजूम के पास से गुजरने वाले वाहनों ने हॉर्न बजाकर विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया. कुछ लोग समूह बनाकर मुख्य प्रदर्शनकारियों से अलग हो गए और उन्होंने सुले पैगोडा का रुख किया जो कि पूर्ववर्ती शासकों के विरोध में रैली करने का एक प्रमुख स्थल रहा है.
सेना के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले संगठन के प्रमुख कार्यकर्ता मिन कोन निंग ने कहा कि हम सभी विभागों के सरकारी कर्मचारियों से अनुरोध करते हैं कि वे सोमवार से काम पर न जाएं." आंग सान सू की को साल 1991 में लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने की वजह से नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था. उन्होंने सेना के शासन के दौरान 15 साल हाउस अरेस्ट में बिताए थे.
रविवार को भी हजारों लोगों ने आंग सान सू और अन्य नेताओं को रिहा करने की मांग को लेकर सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन किया. म्यांमार में विरोध के तेज होते स्वर, लोकतंत्र के लिए हुए लंबे और रक्तरंजित संघर्ष की याद दिला रहे हैं.
म्यांमार की सत्ता पर 2012 में सैन्य शासन की पकड़ ढीली होने के पहले सेना ने सीधे तौर पर पांच दशक से अधिक समय तक देश पर शासन किया. रविवार को सामने आए कई वीडियो में, भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस को हवा में गोली चलाते देखा गया. बताया जा रहा है कि यह घटना मयावडी नगर की है.
बीते दिनों सेना के खिलाफ लोगों के प्रदर्शन को देखते हुए सुप्रीम कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के आदेश पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया था कि म्यांमार की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की के करीबियों को भी अब सेना निशाना बना रही है. आंग सान सू की ऑस्ट्रेलियाई सलाहकार सीन टर्नेल ने शनिवार को हिरासत में ले लिया गया था.