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चूहों पर रिसर्च सफल, भविष्य में मंगल ग्रह पर भी बच्चे पैदा कर पाएगा इंसान!

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2021,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST
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पृथ्वी के बाहर जीवन को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन रात एक कर रिसर्च कर रहे हैं. दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है. जापान के वैज्ञानिकों ने वो करिश्मा कर दिखाया है, जिससे अब पृथ्वी से बाहर बच्चे पैदा करने की संभावना को नई उम्मीद को बल मिल गया है. वेबसाइट phys की रिपोर्ट मुताबिक वैज्ञानिकों द्वारा जब अंतरिक्ष में करीब 6 साल तक रखे गए चूहों के स्पर्म को धरती पर वापस लाया गया, तो उससे फिर से स्वस्थ्य चूहे पैदा हुए. (फोटो/ Teruhiko Wakayama, University of Yamanashi)

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इस शोध के साथ ही कुछ वैज्ञानिकों ने अब दावा किया है कि लाल ग्रह यानी मंगल पर भी इंसान बच्चे पैदा कर सकता है. माना जाता है कि रेडिएशन की वजह से डीएनए खराब हो सकते हैं और प्रजनन की क्षमता कम हो सकती है. लेकिन नए प्रयोग ने इस धारणा को बदल दिया है. दरअसल वैज्ञानिकों द्वारा चूहों पर किए गए प्रयोग में उनके स्पर्म को फ्रीज करके करीब 6 सालों तक हाई रेडिएशन वाले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रखा गया था. (फोटो/ Teruhiko Wakayama, University of Yamanashi)
 

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अब इन स्पर्म को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से वापस लाया गया. इन स्पर्म से स्पेस रैट का जन्म हुआ. ये चूहे बिल्कुल स्वस्थ थे. उनमें किसी तरह की कोई जेनेटिक कमी नहीं देखी गई. स्पेस स्टेशन पर चूहे के स्पर्म को 5 साल 10 महीने के लिए माइनस 95 डिग्री के तापमान पर फ्रीज किया गया था. (प्रतीकात्मक फोटो/ Getty images)

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जापानी वैज्ञानिकों की इस स्टडी को साइंस अडवांस में शुक्रवार को पब्लिश किया गया. इस स्टडी के प्रमुख तेरुहिको वाकायामा ने कहा कि अंतरिक्ष में स्टोर किए गए स्पर्म के जरिये जो नस्ल पैदा हुई, उसमें धरती के चूहों के मुकाबले थोड़ा सा अंतर है, लेकिन इसे कमी नहीं कहेंगे. (प्रतीकात्मक फोटो/ Getty images)

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वर्ष 2013 में जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ यामानाशी में वाकायामा और उनके साथियों ने स्पर्म के तीन बॉक्स भेजे थे. हर बॉक्स में स्पर्म की 48 शीशियां थीं. शोधकर्ता जानना चाहते थे, कि इन पर रेडिएशन का क्या प्रभाव पड़ेगा. करीब छह साल बाद इन बॉक्स को तीन अलग अलग बैच में धरती पर वापस लाया गया. (प्रतीकात्मक फोटो/ Getty images)

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पहला बॉक्स 9 महीने बाद, दूसरा बॉक्स दो साल बाद और तीसरे बॉक्स को छह साल बाद मंगाया गया. ड्रायड फ्रीजिंग की वजह से इस प्रयोग की लागत भी कम आई. धरती पर लाकर इन्हें रिवाइज़ करके बच्चों का जन्म कराया गया. (प्रतीकात्मक फोटो/ Getty images)
 

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रिसर्च से संबंधित प्रोफेसर सयाका वकायमा ने बताया कि जेनेटिक रूप से चूहे के कई सामान्य बच्चे पैदा हुए, वह पूरी तरह स्वस्थ्य थे. (प्रतीकात्मक फोटो/ Getty images)

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वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव सभ्यता के लिए यह सबसे बड़ी खोज में से एक है. एक अन्य जीव विज्ञानी ने बताया कि अंतरिक्ष वाले स्पर्म और पृथ्वी पर रहे स्पर्म से हुए बच्चों में खास अंतर नहीं था. (प्रतीकात्मक फोटो/ Getty images)

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