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म्यांमार: तख्तापलट के बाद बिगड़े हालात, सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, इंटरनेट बैन

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST
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म्यांमार में तख्तापलट के बाद पूरे देश में तनाव और अशांति बढ़ती जा रही है. सेना के खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके बाद सेना के सुप्रीम कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के आदेश पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया है. इतना ही नहीं म्यांमार की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की करीबियों को भी अब सेना निशाना बना रही है. सू की ऑस्ट्रेलियाई सलाहकार सीन टर्नेल ने शनिवार को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को भेजे संदेश में बताया कि उन्हें हिरासत में ले लिया गया है. (तस्वीर- रॉयटर्स)

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टर्नेल का नाम लिए बिना ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिज पायने ने एक बयान जारी कर म्यांमार में ऑस्ट्रेलियाई और अन्य विदेशी नागरिकों पर मनमानी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस पर चिंता व्यक्त करने के लिए म्यांमार के राजदूत को तलब किया था. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि म्यांमार में हम ऑस्ट्रेलियाई लोगों की हालत को लेकर चिंतित हैं जिन्हें एक पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया है.

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शनिवार को म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो उठा जिसके बाद सेना ने इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया. शनिवार को मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान की राजधानी ताइपे में भी सेना के तख्तापलट के विरोध में कई प्रदर्शन हुए. 70 अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों के काम करने से मना कर देने के बाद इस सप्ताह के अंत में लोगों का विरोध प्रदर्शन सविनय अवज्ञा आंदोलन का रूप लेता जा रहा है. हर रात लोग गुस्से में सेना के इस फैसले को लेकर प्रदर्शन करते हैं.

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सैन्य तख्तापलट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यांमार की सेना के खिलाफ नाराजगी को जन्म दे दिया है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से म्यांमार के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार करने के साथ सभी बंदियों की रिहाई के लिए दबाव बनाने की मांग की है.

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म्यांमार में हुए तख्तापलट से अमेरिका और चीन के बीच भी तनाव गहराया है. बता दें कि चीन के म्यांमार की सेना के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के सचिव ने तख्तापलट की निंदा करने के लिए शुक्रवार को एक फोन कॉल में शीर्ष चीनी राजनयिक यांग जिएची की आलोचना की है.

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