अब सिर्फ डेढ़ साल बचा है, जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) उस एस्टेरॉयड पर यान भेजेगा जो धरती पर मौजूद हर शख्स को अरबपति बना दे. यह एस्टेरॉयड पूरा का पूरा लोहे, निकल और सिलिका से बना है. अगर इसमें मौजूद इन धातुओं को बेचा जाए तो पृथ्वी पर रहने वाले हर शख्स को करीब 10 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. नासा बहुत जल्द इस स्पेसक्राफ्ट की एसेंबलिंग और टेस्टिंग शुरू करने वाला है. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
नासा ने स्पेसक्राफ्ट के साइंस और इंजीनियंरिंग सिस्ट्म तैयार हैं. इस मिशन को अमेरिका की सरकार की तरफ ग्रीन सिग्नल भी मिल गया है. इस स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग अगस्त 2022 को होगी. नासा ने इस एस्टेरॉयड का नाम 16 साइकी (16 Psyche) रखा है. इस पूरे एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की कुल कीमत करीब 10000 क्वॉड्रिलियन पाउंड है. यानी 10000 के पीछे 15 जीरो. इसकी खोज करने वाले स्पेसक्राफ्ट का नाम भी साइकी ही रखा गया है. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
नासा का साइकी स्पेसक्राफ्ट साइकी 226 किलोमीटर चौड़े इस एस्टेरॉयड का अध्ययन करेगा. स्पेसक्राफ्ट का क्रिटकिल डिजाइन स्टेज पूरा हो चुका है. 10000 क्वॉड्रिलियन पाउंड (10,000,000,000,000,000,000 पाउंड) यानी धरती पर मौजूद हर आदमी को करीब 10 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. यह कीमत उस एस्टेरॉयड पर मौजूद पूरे लोहे की है. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
NASA के लोग साइकी मिशन फिलहाल प्लानिंग, डिजाइनिंग और स्पेसक्राफ्ट को बनाने की तैयारी में जुटे हैं. इस स्पेसक्राफ्ट में सोलर-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम होगा, तीन साइंस इंस्ट्रूमेंट्स होंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर सब सिस्टम लगाया जाएगा. NASA के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) से इस स्पेसक्राफ्ट की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साइकी मिशन की प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर लिंडी एलकिंस टैनटन ने बताया कि एस्टेरॉयड 16 साइकी मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच घूम रहे एस्टेरॉयड बेल्ट में है. हमें इस मिशन को पूरा करने की अनुमति मिल चुकी है. हम पूरी तैयारी में हैं. स्पेसक्राफ्ट की एसेंबलिंग अलग हो रही है और यह डिसाइड किया जा रहा है कि कौन सा रॉकेट उपयोग में लाया जाए. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
एस्टेरॉयड 16 साइकी हमारे सूरज के चारों तरफ एक चक्कर पांच साल में लगाता है. इसका एक दिन 4.196 घंटे का होता है. इसका वजन धरती के चंद्रमा के वजन का करीब 1 फीसदी ही है. नासा का कहना है कि इस एस्टेरॉयड को धरती के करीब लाने की कोई योजना नहीं है. लेकिन इसपर जाकर इसके लोहे की जांच करने की योजना बनाई जा रही है. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
नासा की तैयारी है कि वह अगस्त 2022 में साइकी स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉयड 16 साइकी पर भेजे. साइकी स्पेसक्राफ्ट मई 2023 में मंगल ग्रह की ग्रैविटी वाले इलाके से बाहर निकलेगा. इसके बाद वह 2026 में 16 साइकी (16 Psyche) एस्टेरॉयड की कक्षा में पहुंचेगा. फिर वह इस एस्टेरॉयड के चारों तरफ 21 महीने चक्कर लगाएगा. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
खबर यह भी आई थी कि नासा ने स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क से मदद मांगते हुए कहा है कि वे इस एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की जांच के लिए अपने अंतरिक्षयान से मिशन शुरू करें. अगर स्पेस एक्स अपने अंतरिक्षयान से कोई रोबोटिक मिशन इस एस्टेरॉयड पर भेजेगा तो उसे वहां जाकर अध्ययन करके वापस आने में सात साल लगेंगे. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)
एस्टेरॉयड 16 साइकी (16 Psyche) करीब 226 किलोमीटर चौड़ा है. NASA का साइकी स्पेसक्राफ्ट मैग्नेटोमीटर का उपयोग करके 16 साइकी (16 Psyche) की चुंबकीय शक्ति और उसके कोर का पता लगाएगा. स्पेसक्राफ्ट में लगे स्पेक्ट्रोमीटर यह विश्लेषण करेंगे कि एस्टेरॉयड की टोपोग्राफी क्या है. यानी उसमें कौन-कौन से धातु हैं. मार्च महीने में स्पेसक्राफ्ट के चेसिस को JPL के क्लीनरूम में लाया जाएगा. उसक बाद इसपर अब तक बनाए गए इंस्ट्रूमेंट्स को लगाया जाएगा. (फोटोःNASA/JPL/16 Psyche)