आप लोग मक्खियों से परेशान होते ही हैं लेकिन इस समय एक देश में मक्खियों के लिए आफत आई हुई है. मक्खियों के अंदर एक ऐसे फंगस यानी कवक का संक्रमण हो रहा है, जो मक्खी को शरीर के अंदर से खाना शुरू करता है. मक्खी चलती-फिरती जॉम्बी बन जाती है. इसके अलावा ये फंगस नए मक्खियों के शरीर पर अपना स्पोर्स यानी बीजाणुओं को छोड़ देते हैं. ताकि जॉम्बी संक्रमण को और फैला सकें. आइए जानते हैं मक्खियों को हो रही इस बीमारी की वजह...क्योंकि क्या पता भविष्य में ये फंगस मक्खियों के जरिए इंसानों को जॉम्बी न बना दे. (फोटोःगेटी)
हाल ही में दो फंगस खोजे गए. एक फंगस का नाम है स्ट्रॉन्गवेलसी टिगरिने (Strongwellsea tigrinae) और दूसरे का है स्ट्रॉन्गवेलसी एसरोसा (Strongwellsea acerosa). अब ये घरेलू मक्खियों की दो प्रजातियों पर हमला कर रही हैं. ये प्रजातियां है कोएनोसिया टिगरिना (Coenosia tigrina) और कोएनोसिया टेस्टासिया (Coenosia Testacea). (फोटोःगेटी)
मक्खियों के ऊपर इन दोनों नए फंगस के हमले से मक्खियां चलती-फिरती मुर्दा बन जाती हैं. यानी जॉम्बी जैसी हो जाती है. फंगस इनके शरीर में प्रवेश करने के बाद अंदर के अंगों को खाना शुरू करता है. उसके बाद वह शरीर को अंदर से पूरा खाने के बाद बाहर निकल कर दूसरे मक्खी को संक्रमित करता है. ये फंगस मक्खियों के पेट को खा जा रहा है. (फोटोः कोपेनहेगेन यूनिवर्सिटी)
मक्खियों के अंगों को खाने के बाद ये फंगस पीले रंग के स्पोर्स यानी बीजाणुओं को पैदा कर रहा है. इन बीजाणुओं के जरिए अन्य मक्खियां भी संक्रमित हो रही हैं. सबसे बुरी बात ये है कि जब फंगस मक्खी के शरीर के अंदर के अंगों को खा रहा होता है, तब भी मक्खी जिंदा रहती है. कम से कम कुछ दिनों तक. (फोटोःगेटी)
फंगस के बीजाणुओं का फैलाव मक्खियों के प्रजनन क्रिया के दौरान होता है. नर से मादा मक्खियों तक ये फंगस फैल जाता है. इसके बाद अन्य मक्खियों में. मरने के बाद भी मक्खियों से इन दोनों फंगस के बीजाणुओं के फैलने की आशंका पूरी तरह से बनी रहती है. जब मक्खियों का फटकर, सूखकर गिरता है तो वह हवाओं में इन बीजाणुओं को और फैला देता है. (फोटोः गेटी)
दोनों फंगस के बीजाणुओं को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि इनकी बाहरी परत काफी मोटी रहती है. क्योंकि ये सर्दियों के मौसम में निष्क्रिय रहते हैं. जैसे ही मौसम थोड़ा सा सामान्य होता है ये फिर सक्रिय होकर मक्खियों पर हमला करने लगते हैं. (फोटोःगेटी)
डेनमार्क के एमएगर (Amager) और जैगर्सप्रिस (Jaegerspris) के खेतों में डच वैज्ञानिकों फंगस से संक्रमित मक्खियों को देखा. ये मक्खियां शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में दिखाई पड़ीं. वैज्ञानिकों ने इसकी रिपोर्ट बनाई और जर्नल ऑफ इन्वर्टिब्रेट पैथोलॉजी में प्रकाशित कराई. इस रिपोर्ट को बनाने वाले प्रमुख शोधकर्ता जॉर्जेन इलेनबर्ग ने कहा कि हमने पहली बार ऐसा कुछ देखा. ये दुनिया को खत्म करने जैसा नजारा था. (फोटोःगेटी)
जॉर्जेन ने कहा कि जिस फंगस की वजह से मक्खियों का ये हाल है. वह भविष्य में म्यूटेशन करके इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है. इसलिए इनकी जांच जरूरी थी. तब हमने अध्ययन का दायरा थोड़ा और बढ़ाया. हमें पता चला कि फंगस मक्खियों को किसी रसायन से नशे में कर देती हैं. (फोटोःगेटी)
वो रसायन मक्खियों को इस नशे में भी उड़ने की ताकत देता है. मक्खियां उड़ती रहती हैं. ये तब तक होता रहता है जब तक फंगस मक्खी के पेट को अंदर से खाकर खत्म नहीं कर देता. यानी फंगस मक्खी के पेट के अंदर खाता-पीता रहता है, वहीं मक्खी कुछ समय तक उड़ती रहती है. जब तक उसका पेट पूरी तरह से फट नहीं जाता. (फोटोःगेटी)
जॉर्जेन ने कहा कि आमतौर पर कीड़ों को खाने वाले फंगस पहले एमफिटामाइन (Amphetamine) जैसे रसायन छोड़ते ताकि कीड़े चलते-फिरते रहे और फंगस अपना काम करता रहे. कीड़ों को ये पता भी न चले कि उसके शरीर में कोई संक्रमण है. कुछ ऐसा ही किया है मक्खियों पर हमला करने वाले दोनों फंगस ने. (फोटोःगेटी)