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ओरंगुटानों ने विकसित की नई भाषा, क्या इंसानों की तरह करने लगेंगे बात?

aajtak.in
  • ज्यूरिख,
  • 11 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST
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अलग तरह की उछलकूद. होंठ पर चांटा मारना. मुंह पर पानी थूकना. ज्यादा देर तक आंखों में देखना. आजकल ओरंगुटान ने नई भाषा विकसित कर ली है, ताकि वो इसके जरिए अपने दोस्तों, परिजनों और दुश्मनों से बातचीत कर सकें. बातचीत के तरीकों में ज्यादातर इशारे हैं लेकिन कभी-कभी ये ऊंची-नीची आवाज निकालकर भी एकदूसरे को संदेश देते हैं. आइए जानते हैं कि ओरंगुटानों ने ये नई भाषा कैसे और क्यों विकसित की. (फोटोःगेटी)

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जीव विज्ञानी इन जीवों के नए इशारों से हैरान है, क्योंकि अब उन्हें एक नई भाषा का अध्ययन करना पड़ेगा. उसे समझना पड़ेगा. हैरानी की बात ये है कि ये इशारे जंगली ओरंगुटानों में देखने को कम मिलते हैं. इसका मतलब ये है कि ओरंगुटान इंसानों की तरह ही नई भाषा और इशारे सीख रहे हैं. उनका उपयोग कर रहे हैं. संवाद का नया तरीका विकसित कर रहे हैं. (फोटोःगेटी)

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ओरंगुटान अब उड़ते हुए पक्षी का इशारा करने लगे हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के मार्लेन फ्रोहलिच इस तरह के इशारों का अध्ययन करने के लिए चिड़ियाघर पहुंचे. वहां वो ये देखना चाहते थे कि यहां के ओरंगुटान अपने जंगली साथियों की तुलना में किस तरह से बात करते हैं. मार्लेन को कई स्तर पर संवाद में स्पष्ट अंतर दिखाई दिया. (फोटोःगेटी)

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चिड़ियाघर में बंद ओरंगुटान को शिकार का डर नहीं है. उसे खाने की कमी नहीं है. न ही उसे जंगली जानवरों का डर है. न ही घर खोने का. इसलिए उनकी बातचीत के तरीके में भी बदलाव आया है. इसलिए जब भी वे अपने बाड़े के बाहर किसी को खाने के साथ देखते हैं तो उनका इशारा अलग होता है. किसी को विचित्र टोपी लगाए देखते हैं तो उनका इशारा एकदम अलग होता है. (फोटोःगेटी)

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मार्लेन फ्रोहलिच और उनकी टीम ने पांच चिड़ियाघरों के 30 ओरंगुटानों और सुमात्रा-बोर्नियों के जंगलों से 41 ओरंगुटानों के 8000 से ज्यादा इशारों को रिकॉर्ड किया. उनका मतलब समझने का प्रयास किया. इसके बाद पता चला कि जंगली ओरंगुटान और चिड़ियाघर के ओरंगुटानों की इशारों वाली भाषा में काफी ज्यादा अंतर है. (फोटोःगेटी)

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नतीजा ये निकल कर आया कि चिड़ियाघर में बंद ओरंगुटान जंगली साथियों की तुलना में ज्यादा इशारे सीख गए. इनमें चेहरे के एक्सप्रेशन, हाथों का हिलाना, बार-बार पानी का कुल्ला करना, दूसरे बंदरों के मुंह पर पानी थूकना आदि. ऐसा लगता है कि ये इशारे उन्होंने खाने और खेलने के लिए आसपास के माहौल से सीखा है. (फोटोःगेटी)

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मार्लेन फ्रोहलिच ने बताया कि इससे पता चलता है कि अगर ओरंगुटान ज्यादा सामाजिक और क्षेत्रीय जीवन जीते हैं तो उनके व्यवहार में बहुत जल्द बदलाव आता है. ये अपनी संवाद करने की क्षमता को तेजी से बदलते और विकसित करते हैं. इससे ये पता चलता है कि अगर कभी इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा तो उनकी आने वाली अगली पीढ़ी ऐसे ही और इशारे सीखेगी. जैसे इंसानों ने सीखा. (फोटोःगेटी)

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मार्लेन फ्रोहलिच और उनके साथियों की इस स्टडी का अभी पीयर रिव्यू होना है. लेकिन इसके बावजूद इनकी स्टडी के नतीजे बेहद हैरान करने वाले हैं. लेकिन ये भी सच है कि अगर भाषाई विकास में कोई जीव आगे बढ़ने वाला है तो वह निश्चित ही ओरंगुटान होंगे. (फोटोःगेटी)

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