प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई प्रहलाद मोदी की पत्नी भगवती बेन का बुधवार को निधन हो गया. उनका निधन हार्ट अटैक की वजह से हुआ. भगवती बेन पिछले काफी समय से बीमार थीं और अहमदाबाद के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यस्तता की वजह से अपने परिवार वालों से बहुत कम ही मिल पाते हैं. हाल ही में पीएम मोदी जब अपना वोट डालने अपने गृहनगर पहुंचे तो घर पहुंचकर अपनी मां का आशीर्वाद लिया था. पीएम मोदी के परिवार के सदस्य आज भी गुमनाम ही हैं और मध्यमवर्गीय परिवार का जीवन गुजर बसर कर रहे हैं.
मोदी के पिता के 5 भाई:
नरेंद्र मोदी के पिता के कुल 5 भाई थे. नरसिंह दास, नरोत्तम दा, जगजीवन दास, कांतिलाल, जयंतीलाल, कांतिला और जयंती लाल शिक्षक के रूप में रिटायर्ड हुए. जयंती लाल की बेटी लीना बेन के पति विसनगर में बस कंडक्टर थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां का नाम हीराबेन है. वो हाउसमेकर हैं और उनके पिता का नाम दामोदरदासभाई मोदी है.
नरेंद्र मोदी की एक ही बहन है, जिसका नाम है वासंतीबेन हसमुख लाल मोदी. उनके पति का नाम है हसमुख भाई. हसमुख भाई एलआईसी में थे. वसंतीबेन भी हाउसमेकर हैं. वसंतीबेन 5 भाईयों की एक बहन हैं.
मोदी के सबसे बड़े भाई का नाम है सोमा मोदी. वे हेल्थ डिपार्टमेंट में कार्यरत थे और अब रिटायर हो चुके हैं. अब वे अहमदाबाद में एक ओल्ड ऐज होम चलाते हैं और सोशल वर्क करते हैं.
अक्टूबर में पुणे में एक NGO के कार्यक्रम में संचालक ने मंच से सबको बता दिया कि सोमभाई नरेंद्र मोदी के बड़े भाई हैं. सब चौंक गए. फिर सोमभाई ने सफाई दी, ‘मेरे और प्रधानमंत्री के बीच एक परदा है. मैं उसे देख सकता हूं पर आप नहीं देख सकते. मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं. प्रधानमंत्री मोदी के लिए तो मैं 123 करोड़ देशवासियों में से ही एक हूं, जो सभी उसके भाई-बहन हैं.’
मोदी के सबसे छोटे भाई हैं पंकज भाई मोदी. पंकज गांधीनगर में रहते हैं. इनकी पत्नी का नाम सीताबेन है. पंकज सूचना विभाग से रिटायर्ड हुए. उनकी मां पंकज के साथ ही रहती हैं. पंकज इस मामले में खुशकिस्मत हैं कि मां के साथ रहने की वजह से उनकी मुलाकात भाई मोदी से हो जाती है.
नरेंद्र मोदी के सगे चाचा नरसिंह दास मोदी के बेटे भरत भाई मोदी वडनगर से 65 किमी दूर पेट्रोल पंप पर काम करते हैं. नरेंद्र मोदी के दूसरे कजन भाईयों का भी कुछ ऐसा ही हाल है.
मोदी कुनबा आज भी उसी तरह गुमनाम जिंदगी जी रहा है, जैसी वो 2001 में नरेंद्र के पहली बार सीएम बनने के समय जीता था. मोदी खुद इस बात की तारीफ करते हुए कहते हैं, ‘इसका श्रेय मेरे भाइयों और भतीजों को दिया जाना चाहिए कि वो साधारण जीवन जी रहे हैं और कभी मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं की. आज की दुनिया में ऐसा वाकई दुर्लभ है.’