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पश्चिमी देशों के मुकाबले एशिया में क्यों लगा है कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक, ये है जवाब

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST
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कोरोना ने वैसे तो पूरी दुनिया को परेशान किया है लेकिन पश्चिमी देशों के मुकाबले एशियाई क्षेत्रों में अब इसका संक्रमण कम होता दिख रहा है. कई विशेषज्ञ इस पर पहले आश्चर्य जता रहे थे कि आखिरकार एशियाई देशों में अब संक्रमण लगातार कम कैसे हो रहा है. अब वैज्ञानिकों ने इसका जवाब ढूंढ लिया है. रिसर्च में सामने आया है कि इस क्षेत्र में मनुष्यों के शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन की वजह से कोरोना के संक्रमण में लगातार कमी आ रही है.

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वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि एक विशेष प्रोटीन एशियाई क्षेत्र के लोगों में पाया जाता है. एशिया की तुलना में यूरोप और अमेरिका में यह मानवों के शरीर में कम या फिर नहीं होता है. यही कारण है कि कोरोना वायरस एशियाई देशों में तेजी से नहीं फैल रहा है. पश्चिम बंगाल के कल्याणी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पश्चिमी देशों की तुलना में एशिया में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के नहीं फैलने के जैविक कारणों का पता लगाया है. 
 

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वैज्ञानिकों की टीम ने समझाया है कि मानव प्रोटीन का उच्च स्तर - न्यूट्रोफिल इलास्टेज़ - वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है, संक्रमित व्यक्तियों में यह अपनी संख्या में इजाफा करता है और फिर तेजी से संक्रमण फैलाता है. हालांकि, इस प्रोटीन को जैविक प्रणाली द्वारा जांच में रखा जाता है, जो अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन (एएटी) नामक एक और प्रोटीन का उत्पादन करता है. 

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एएटी की कमी से कोशिकाओं में न्यूट्रोफिल इलास्टेज का स्तर बढ़ जाता है जो बदले में वायरस के तेजी से प्रसार में मदद करता है. इस कमी को यूरोप और अमेरिका में एशियाई लोगों की तुलना में बहुत अधिक जाना जाता है. अध्ययन जर्नल, इन्फेक्शन, जेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है. निधन विश्वास और पार्थ मजूमदार के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि वायरस के नए स्ट्रेन प्रसार की दर - D614G - भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग है.

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कई लोग अनुमान लगा रहे थे कि कोरोना वायरस भौगोलिक दृष्टि से क्यों फैलता है. सबसे लोकप्रिय अटकलें थी कि एशिया में उच्च तापमान कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर रहा है. वैज्ञानिकों ने कहा हमारा मानना ​​था कि इसका कारण भौतिक या सामाजिक होने के बजाय जैविक है. शोधकर्ताओं ने मानव कोशिका में प्रवेश के लिए कोरोना के नए स्ट्रेन D614G वायरस द्वारा बनाई गई एक अतिरिक्त दरार को संक्रमण फैलने वाले अंतर से जोड़ा.

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वैज्ञानिकों ने कहा  AAT प्रोटीन की कमी इसके लिए सबसे बड़ी वजह है. यह कमी एशियाई लोगों की तुलना में यूरोप और अमेरिका के लोगों की कोशिकाओं में बहुत अधिक मानी जाती है. उन्होंने कहा हमने अध्ययन के लिए, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के साथ-साथ पूर्वी एशिया से एएटी की कमी के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, जिस गति से कोरोना वायरस फैल रहा है, उस संख्या को देखते हुए अन्य एशियाई क्षेत्रों के प्रतिनिधि में भारत भी शामिल है.

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उनके आंकड़ों के अनुसार, पूर्वी एशियाई देशों में AAT की कमी सबसे कम है - मलेशिया में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 8, दक्षिण कोरिया में प्रति 1000 लोगो में 5.4,  सिंगापुर में प्रति 1000 लोगों में 2.5  दूसरी ओर, स्पेन में प्रति 1,000 व्यक्तियों में 67.3 एएटी की कमी, यूके में 34.6 और फ्रांस में 51.9 और अमेरिका में 1,000 के बीच 29 व्यक्तियों में इसकी कमी पाई जाती है.
 

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