इस देश की ताकत से हर कोई वाकिफ है लेकिन पिछले साल इसकी आबादी में करीब आधा मिलियन की कमी हुई है. यानी पांच लाख लोगों की कमी. इसके पीछे क्या कोरोना कारण है? या फिर विस्थापन या फिर कम जन्म दर. साल 2020 में इस देश की तरह दो और देश हैं जहां पर आबादी कम हुई है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या वजह थी इस देश की आबादी कम होने की? (फोटोःगेटी)
पिछले 15 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब रूस (Russia) की आबादी में पांच लाख लोगों की कमी दर्ज की गई है. आबादी के ये आंकड़े रूस की सरकार ने जारी किए हैं. अलजजीरा में प्रकाशित खबर के अनुसार रूस की आबादी फिलहाल 14.62 करोड़ है. लेकिन आंकड़ों के अनुसार इसमें कमी आई है. एक्सपर्ट इसके पीछे कोरोना वायरस महामारी को बड़ा कारण मान रहे हैं. (फोटोःगेटी)
पिछले साल जनवरी से नवंबर तक रूस में कुल 229,700 लोगों की मौत हुई. वहीं, साल 2019 में इसी समय के दौरान 13 फीसदी कम मौतें हुई थीं. जबकि, पिछले साल ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आबादी बढ़ाने को लेकर जोर दिया था. साथ ही कहा था कि कम आबादी के पीछे की वजह है कम आमदनी. (फोटोःगेटी)
हालांकि, एक्सपर्ट्स इसके पीछे दो कारण और बता रहे हैं. पहला युवाओं और शिक्षित लोगों का दूसरे देशों में पलायन और दूसरा कम जन्म दर. आपके बता दें कि इस महीने पोलैंड और यूनाइटेड किंगडम की आबादी में भी इसी तरह की गिरावट दर्ज होने की जानकारी सामने आई थी. (फोटोःगेटी)
पोलैंड में पिछले साल 357,400 जन्म हुए. जो कि साल 2005 के बाद सबसे कम था. वहीं, पिछले साल यूके से करीब 13 लाख बच्चों का जन्म दूसरे देशों में जाकर हुआ. पोलैंड में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्म दर में इस तरह की कमी देखी गई है. यूके में जुलाई 2019 से सितंबर 2020 के बीच लाखों लोगों का पलायन हुआ. इसके पीछे ब्रेक्जिट और कोरोना को वजह बताया जा रहा है. (फोटोःगेटी)
इकोनॉमिस्ट राफाल मुंड्री कहता है कि साल 2020 के 11 महीनों में जितनी मौतें पोलैंड में हुई हैं, वह सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद से सबसे ज्यादा हैं. जबकि पिछले 15 सालों में इतना कम जन्म दर नहीं देखा गया है. कोरोना समय में पोलैंड में हर महीने करीब 30 हजार लोगों की मौत हुई है. सिर्फ नवंबर में 60,400 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई थी. (फोटोःगेटी)
यूके में बेरोजगारी संकट, पलायन, ब्रेक्जिट और कोरोना की वजह से आबादी में गिरावट दर्ज की गई. यूके इकोनॉमिक स्टेटिस्टिक्स सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (ESCoE) के मुताबिक सिर्फ लंदन से पिछले 14 महीनों में 7 लाख लोग पलायन कर गए. (फोटोःगेटी)