रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को दुनिया भर में सबसे ज्यादा सफल और ताकतवर मानव जाता है लेकिन अब इसी हथियार ने अमेरिका की परेशानी बढ़ा दी है. भारत-चीन समेत पांच देशों ने रूस से इस हथियार को खरीदने के लिए सौदा किया है. अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत ने अपनी सामरिक सुरक्षा के लिए उसकी धमकी को नजरअंदाज करते हुए साल 2018 में रूस से इसके लिए समझौता किया. हालांकि नाटो में शामिल तुर्की ने जब रूस से S-400 खरीदने का फैसला किया तो अमेरिका ने उस पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है.
कुछ रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि इस हथियार को लेकर अमेरिका भारत के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाएगा और भारत द्वारा इसे खरीदने के बाद कुछ प्रतिबंध लगा सकता है. हालांकि अमेरिका के प्रतिबंध के नाम पर दबाव बनाने की हालिया कोशिशों को भारत सरकार ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है क्योंकि इस हथियार के लिए सरकार पहले ही रूस को सौदे की कुछ रकम भी दे चुकी है. इतना ही नहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते साल रूस जाकर इसकी जल्द से जल्द डिलीवरी देने का आग्रह किया था.
अब ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर कोई देश अगर अपनी सामरिक सुरक्षा के लिए इस अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदता है तो अमेरिका को इससे क्या दिक्कत है. इसका जवाब ये है कि अमेरिका को पता था कि वाशिंगटन और बीजिंग के रिश्तों में तनाव आया है उसके बाद चीन ऐसे हथियारों की खरीद करेगा.
वहीं भारत से अमेरिका के रिश्ते मजबूत हैं इसलिए वो उसके लिए खतरा नहीं बनेगा. यही वजह है कि अमेरिका यहां उतनी सख्ती नहीं कर रहा है लेकिन नाटो सदस्य तुर्की का इसे खरीदना उसे नागवार गुजरा है. इसके पीछे का कारण ये है कि तुर्की अमेरिका के करीबी अरब देशों और यूरोपीय देशों के खिलाफ हमेशा आक्रमक रहा है. इतना ही नहीं तुर्की कई बार अमेरिका की नीतियों की भी आलोचना कर चुका है.
तुर्की के S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने से अमेरिका को अपने इन्हीं मित्र देशों की चिंता है. विशेषज्ञों के मुताबिक तुर्की सिर्फ अपने क्षेत्र में सैन्य दबदबा बढ़ाने के लिए इस हथियार को खरीद रहा है जबकि उसे इसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. वैसे विशेषज्ञ S-400 सिस्टम खरीदने के मामले में भारत को लेकर अमेरिका के ज्यादा सख्त नहीं होने का कारण भी बताते हैं.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीनियर विशेषज्ञ सिमॉन वाइजमैन के मुताबिक इस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का कोई जवाब नहीं है. हर देश इसे नहीं खरीद सकता लेकिन भारत के लिए यह इसलिए जरूरी हैं क्योंकि दो पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान के साथ उसका टकराव है. सामरिक सुरक्षा के लिए यह जरूरी हो जाता है. भारत पाकिस्तान सीमा पर इसे तैनात कर आसानी से किसी भी लड़ाई का रुख बदल सकता है. वहीं चीन से तनातनी के बीच पहाड़ी इलाकों में इसकी तैनाती कर भारत देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहता है.
इसके अलावा एक कारण ये भी है कि अमेरिका भारत का स्ट्रैटेजिक पार्टनर है और चीन से अमेरिका-भारत दोनों का ही टकराव है. इसलिए अमेरिका को भी लगता है कि ऐसे स्थिति में भारत का मजबूत बना रहना उसके लिए भी जरूरी है. विशेषज्ञों के मुताबिक S-400 की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें मिडिल, लॉन्ग या स्मॉल किसी भी रेंज की मिसाइल को मिनटों में फिट किया जा सकता है और भारत के पास तीनों ही हैं. इसके अलावा S-400 को चंद पलों में हमले के लिए तैयार किया जा सकता है. चीन और पाकिस्तान की तरफ से दोहरे खतरे को देखते हुए यह भारत के लिए बेहद जरूरी है.