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अमेजन के जंगलों को 10 हजार KM दूर से सहारा रेगिस्तान भेजता है फर्टिलाइजर

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST
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अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान से अमेजन के जंगलों में पहुंच रहा है पोषक तत्व. ये पोषक तत्व कोई इंसान, विमान या जहाज लेकर नहीं जा रहा. बल्कि एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक उड़ने वाली हवा ले जाती है. ये प्रक्रिया हर साल होती है. इसका मतलब ये है कि सहारा के रेगिस्तान की धूल से भी किसी के जीवन को सहारा मिल रहा है. आइए जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया को... (फोटोःNASA)

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के सैटेलाइट ने सहारा रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल की तस्वीर ली. ये धूल अटलांटिक महासागर पार करके अमेजन के जंगलों तक पहुंचती है. इस धूल में एक खास तरह का पोषक तत्व होता है जो इन जंगलों के लिए जरूरी है. अंतरिक्ष से देखने में तो ऐसा लगता है कि सहारा रेगिस्तान से लेकर अमेजन के जंगलों के ऊपर भूरे-पीले रंग की एक मोटी चादर बिछी है. (फोटोःNASA)

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सहारा रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल करीब 10 हजार किलोमीटर की यात्रा करके अमेजन के जंगलों तक पहुंचती है. इस दौरान ये अपने साथ ढेर सारा फॉस्फोरस लेकर जाती है. अमेजन के जंगलों में फॉस्फोरस की वजह से पेड़-पौधों को पोषक तत्व मिलता है. नासा ने इस पूरी प्रक्रिया की थ्री डी तस्वीर बनाई है. उसके बाद उसका आकलन किया है. (फोटोःNASA)

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सहारा जैसे एक बेहद बीहड़ और निर्जीव जगह से निकली धूल धरती के दूसरे हिस्से पर मौजूद अत्यधिक उपजाऊ जगह को विकसित होने और सजीव रहने में मदद कर रही है. नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में काम करने वाले साइंटिस्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के शोधकर्ता होंगबिन यू ने बताया कि सहारा रेगिस्तान की धूल में मृत सूक्ष्मजीव होते हैं. (फोटोःNASA)

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सहारा रेगिस्तान में पत्थरों से निकला हुआ सूक्ष्म मिनरल भी होता है. सूक्ष्मजीव फॉस्फोरस से भरे हुए होते हैं. जब ये मिनरल और फॉस्फोरस से लदे हुए मृत सूक्ष्मजीव अमेजन पहुंचते हैं तो ये कमाल करते हैं. फॉस्फोरस पेड़-पौधों की ग्रोथ के लिए  जरूरी होता है. (फोटोःNASA)

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यू ने बताया कि फॉस्फोरस का उपयोग खेती के लिए बनाए जाने फर्टिलाइजर में भी होता है. लेकिन अमेजन के जंगलों में सहारा रेगिस्तान की धूल ही फर्टिलाइजर बनती है. या फिर जंगलों से टूटकर, गिरकर या सड़कर जो पत्तियां, फल या टहनियां खाद बनती हैं वो पोषक तत्व का काम करती हैं. (फोटोःNASA)

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यू ने बताया कि हर साल सहारा रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल अमेजन के जंगलों में करीब 22 हजार टन फॉस्फोरस लेकर जाती है. हर साल इसमें से फॉस्फोरस की मात्रा बारिश में धुल जाती है लेकिन यही फॉस्फोरस नदियों और पानी के अन्य स्रोतों के जरिए पेड़ों की जड़ों तक पहुंचते हैं. जिनसे उनका विकास होता है. (फोटोःNASA)

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यू बताते हैं कि जितना फॉस्फोरस सहारा से अमेजन तक जाता है. अगर उसे हम ट्रकों में लोड करें तो हमें करीब 6.89 लाख ट्रकों की जरूरत पड़ेगी. ऐसा नहीं है कि सारा फॉस्फोरस अमेजन तक पहुंच ही जाता है. कुछ अटलांटिक महासागर में गिरता है, कुछ कैरिबियन सागर में गिर जाता है. कुछ दक्षिणी अमेरिका के तटों पर गिरता है. कुल मिलाकर सहारा रेगिस्तान की धूल बहुत से इलाकों में पोषक तत्व का काम करती है. (फोटोःNASA)

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यू और उनके साथियों ने देखा कि ये धरती पर फर्टिलाइजर का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट है. वह भी हवा के द्वारा. सहारा से अमेजन तक फर्टिलाइजर की ये यात्रा करीब 10 हजार किलोमीटर की होती है. ये प्राकृतिक संतुलन बनाने का अपने आप बेहतरीन उदाहरण है. यू ने बताया कि एक भी साल ऐसा नहीं जाता जब सहारा की धूल अमेजन को पोषक तत्व न देती हो. (फोटोःNASA)

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अमेजन के जंगलों के उपजाऊ होने की एक बड़ी वजह ये भी है कि वहां जमीन का क्षरण नहीं होता. बारिश और पेड़ों की वजह से धरती मजबूत है. मिट्टी हवा के साथ बहकर या उड़कर कहीं नहीं जाती. लेकिन इतने बड़े जंगल को बने रहने के लिए बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर की जरूरत होती है. ये जरूरत सहारा रेगिस्तान से उड़कर पहुंचने वाली धूल करती है. नासा इस प्रक्रिया की निगरानी हमेशा सैटेलाइट के जरिए करता रहता है. (फोटोःNASA)

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