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गंगा के बाद अब सिंध नदी में मिली सकरमाउथ कैटफिश, वैज्ञानिकों ने जताया था ये खतरा

हेमंत शर्मा
  • 19 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST
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मध्‍य प्रदेश के भिंड की सिंध नदी में सकरमाउथ कैटफिश मिलने से लोग हैरत में हैं. यह सकरमाउथ कैटफिश दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली मांसाहारी मछली है. मूल रूप से दक्षिण अमेरिका की अमेजॉन नदी में यह मछली पाई जाती है. इस मछली को भोले नाम के एक शख्स ने सिंध नदी के मेहदा घाट से पकड़ा है. (भ‍िंंड से हेमंत शर्मा की र‍ि‍पोर्ट)

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देखने में काफी खूबसूरत यह मछली मांसाहारी होती है. फिलहाल विशेषज्ञ यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर दक्षिण अमेरिका के इलाके में पाई जाने वाली यह मछली चंबल इलाके की सिंध नदी तक कैसे पहुंच गई.

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इससे पहले वाराणसी में रामनगर के रमना से होकर गुजरती गंगा नदी में नाविकों को अजीबोगरीब मछली मिली थी. बीएचयू के मछली वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान साउथ अमेरिका की अमेजॉन नदी में पाए जाने वाली सकरमाउथ कैटफिश के रूप में की थी. वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था क‍ि मछली मांसाहारी है और अपने इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है.

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सकरमाउथ कैटफिश कई रंगों में भी मिल सकती है लेकिन इसका गंगा में मिलना गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा इसलिए भी बताया गया था  क्योंकि यह मछली मांसाहारी है और आसपास के जीव-जंतुओं को खाकर जिंदा रहती है. इस वजह से यह किसी महत्वपूर्ण मछली या जीव को पनपने नहीं देती है जबकि इस मछली की खुद की फूड वैल्यू कुछ नहीं है क्योंकि यह बेस्वाद होती है.

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इस लिहाज से गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए इस मछली को बड़ा खतरा बताया गया. चूंकि यह मछली अपनी खूबसूरती के चलते आर्नामेंटल मछलियों की श्रेणी में आती है और लोग शौक के लिए इसे एक्वेरियम में पालते हैं लेकिन कैटफिश के बड़ा होने पर इसे गंगा में छोड़ देते थे. 

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