उत्तराखंड में रविवार को आए प्रकृति के प्रकोप ने लोगों को लाचार बना दिया है. चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद से तपोवन इलाके में जिंदगियों को बचाने की जंग जारी है. हर तरफ सिर्फ तबाही की दर्दनाक तस्वीरें दिखाई दे रही हैं. तपोवन टनल से 16 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है. वहीं सुरंग में फंसे हुए अन्य लोगों को बचाने में एनडीआरएफ और सेना की टीम देर रात से लगी हुई है. अभी तक 14 शव भी बरामद हो चुके हैं.
ग्लेशियर टूटने का सबसे ज्यादा असर तपोवन इलाके में ही दिखा. आईटीबीपी के साथ ही नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एनडीआरएफ) और स्टेट डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एसडीआरएफ) के जवान भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं. तपोवन के बेहद पास ग्लेशियर टूटने के कारण झील बन गई है. झील के कारण नदी का जल स्तर भी बढ़ गया है. ग्लेशियर टूटने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को पहुंचा है. यह पूरी तरह तबाह हो चुका है.
तपोवन में एनडीआरएफ के जवान टनल से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश में जुटे हुए हैं लेकिन दलदल वाली जमीन होने की वजह से रेस्क्यू में भारी दिक्कत आ रही है. पानी की वजह से दलदल जैसी स्थिति है जिस कारण वहां भारी मशीनों का इस्तेमाल भी नहीं हो पा रहा है.
वायुसेना के एरयिल सर्वे से पता चला है कि तपोवन के पास मलारी घाटी के प्रवेश द्वार पर दो पुलों को भी ग्लेशियर टूटने से भारी नुकसान पहुंचा है. हालांकि जोशीमठ से तपोवन के बीच मुख्य सड़क सुरक्षित है. जबकि घाटी में नदी के किनारे जो निर्माण कार्य चल रहा था वो और वहां मौजूद झोपड़ियां पूरी तरह से तबाह हो गई हैं.
नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद टिहरी के जिलाधिकारी ने टिहरी बांध से नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ने के निर्देश दिए हैं. दूसरी तरफ, राहत और बचाव कार्य के लिए सेना की भी मदद ली जा रही है. भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर्स को स्टैंडबाई में रखा गया है. जरूरत पड़ने पर चिनूक को भी राहत और बचाव कार्य के लिए तैनात किया जाएगा.
सोमवार सुबह तक पानी का बहाव तो काफी कम हुआ है, लेकिन कुछ स्थानों पर झील जैसी स्थिति बन चुकी है. तपोवन प्रोजेक्ट के पास काफी पानी, मलबा जमा हो गया है. भीषण तबाही होने के कारण करीब एक दर्जन से अधिक गांवों से संपर्क टूट चुका है. ऐसे में मौजूदा वक्त में राहत बचाव कार्य के दौरान ही राशन दिया जाएगा, जो कि हेलीकॉप्टर से गांवों तक पहुंचाया जाएगा.
उत्तराखंड की सरकार ने ग्लेशियर कैसे टूटा इसकी जांच करने के भी निर्देश दिए हैं. क्योंकि मौसम साफ था, बाकी किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा की चेतावनी भी नहीं थी. ऐसे में वैज्ञानिकों द्वारा इस विषय में अध्ययन किया जाएगा.