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वडोदरा: मकान, गाड़ी बेचकर भी नहीं उतरा कर्ज, परिवार ने कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर पी लिया जहर

गोपी घांघर
  • वडोदरा,
  • 04 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 9:09 PM IST
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आर्थिक तंगी की वजह से बीते बुधवार को गुजरात के वडोदरा में एक ही परिवार के 6 लोगों ने जहरीली दवा पी कर जान देने की कोशिश की थी. मौके पर ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई जबकि 3 अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अब इस परिवार की दयनीय हालत और दर्दनाक कहानी को जानकर आपके भी आंखों में आंसू आ जाएंगे.
 

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बेहद खराब माली हालत से गुजर रहे इस परिवार के लोगों ने सामूहिक आत्महत्या करने का फैसला कर लिया. दरअसल इस परिवार का पहले अच्छा खासा कारोबार था और खुशहाली भी थी लेकिन इनकी खुशियों को किसी की नजर लग गई. कारोबार में ऐसा घाटा हुआ कि कर्ज चुकाने में परिवार के मुखिया का सबकुछ बिक गया. हालात इतने बदतर हो गए कि परिवार के लिए दो वक्त की रोटी के लिए इन्होंने अपनी मोपेड भी बेच दी. जब इसके बाद भी काम ना चला तो पिता ने बेटी की साइकिल महज 500 रुपये में बेच दी क्योंकि परिवार के लोग भूखे थे और उन्हें खाने की जरूरत थी.

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जब सबकुछ खत्म हो गया और किसी ने उनकी मदद नहीं की तो परिवार के सभी लोगों ने सामूहिक आत्महत्या करने का फैसला किया. कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक मिलाकर एक साथ पूरे परिवार ने पी ली. तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 3 लोगों को बाद में पड़ोसियों ने अस्पताल में भर्ती करवाया.जहर पीने की वजह से परिवार के मुखिया नरेंद्र सोनी, चार साल के पोते पार्थ और 17 साल की बेटी रिया की मौत हो गई. जबकि नरेंद्र सोनी की पत्नी दीप्ति, बेटा भाविन और बहू उर्वशी अस्पताल में मौत से जंग लड़ रहे हैं.

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पड़ोसियों के मुताबिक परिवार के खराब आर्थिक स्थिति को लेकर जो कहानी सामने आ रही है वो भी हैरान करने वाली है. जानकारी के मुताबिक नरेंद्र सोनी ज्वेलरी का व्यापार करते थे. कुछ सालों से उन्हें इसमें लगातार घाटा हो रहा था जिसके बाद उन्होंने प्लास्टिक का सामान बेचना शुरू कर दिया. लेकिन इस काम में भी उन्हें घाटा उठाना पड़ा. इसके बाद इन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी और ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेकर एक बार फिर से कारोबार को खड़ा करने की कोशिश की.
 

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हालांकि यहां भी किस्मत ने इस परिवार का साथ नहीं दिया और ब्याज चुकाने के लिए इन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा. पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने भी इस परिवार को कर्ज दिया. पहले नरेंद्र सोनी मकान के मालिक थे लेकिन कर्ज के चक्कर में उनका मकान भी बिक गया और उन्हें किराए के घर में रहना पड़ा.
 

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मकान बेचने के बाद जो पैसा मिला इससे उन्होंने कर्ज चुका दिया और फिर जो थोड़ा पैसा बचा उससे घर चलने लगा. लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन लग जाने की वजह से इनकी आर्थिक हालत बदतर होती चली गई. नरेंद्र सोनी का बेटा कंप्यूटर रिपेयरिंग का काम करने लगा लेकिन उसकी आमदनी से घर का खर्च चलना मुश्किल हो गया था.

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