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इस टेलीस्कोप ने देखी धरती की तरफ आ रही आफत, यहां हुई थी जेम्स बॉन्ड की शूटिंग

aajtak.in
  • 29 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST
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बस कुछ घंटे ही बाकी है, जब धरती के बगल से एक एस्टेरॉयड गुजरेगा. इस एस्टेरॉयड का नाम है 52768 (1998 OR 2). यह धरती से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा. यह सब जानकारी आखिर हमें मिली कैसे? कौन करता है अंतरिक्ष में इन उल्कापिंडों की जासूसी? आइए जानते हैं उस एंटीना और ऑब्जरवेटरी के बारे में जिसने इस एस्टेरॉयड की जानकारी हमें दी. इस एंटीना से जुड़ी बेहद रोचक जानकारियां आपको पता नहीं होंगी. (फोटोः Arecibo Observatory)

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जिस संस्थान ने हमें एस्टेरॉयड 52768 (1998 OR 2) की जानकारी दी है. उसका नाम है आर्सीबो ऑब्जरवेटरी (Arecibo Observatory). ये प्यूर्टो रिको में स्थित है. इसका संचालन एना जी मेंडेज यूनिवर्सिटी, नेशनल साइंस फाउंडेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा मिलकर करते हैं. (फोटोः Arecibo Observatory)

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इस ऑब्जरवेटरी में एक 1007 फीट तीन इंच व्यास का बड़ा गोलाकार एंटीना है. जो सुदूर अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों को पकड़ता है. इसका मुख्य काम धरती की तरफ आ रही खगोलीय वस्तुओं के बारे में जानकारी देना है. (फोटोः Arecibo Observatory)

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1007 फीट व्यास वाले एंटीना में 40 हजार एल्यूमिनियम के पैनल्स लगे हैं जो सिग्नल रिसीव करने में मदद करते हैं. इस एंटीना को आर्सीबो राडार कहते हैं. आर्सीबो ऑब्जरवेटरी को बनाने का आइडिया कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम ई गॉर्डन को आया था. (फोटोः Arecibo Observatory)

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इस ऑब्जरवेटरी को बनने में तीन साल लगे. इसका निर्माण कार्य 1960 में शुरू हुआ था. जो 1963 में पूरा हुआ. इस एंटीना के बीचो-बीच एक रिफलेक्टर है जो ब्रिज के जरिए लटका हुआ है. यहां ऐसे दो रिफलेक्टर्स है. पहला 365 फीट की ऊंचाई पर और दूसरा 265 फीट की ऊंचाई पर. (फोटोः Arecibo Observatory)

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सभी रिफलेक्टर्स को तीन ऊंचे और मजबूत कॉन्क्रीट से बने टावर से बांधा गया है. बांधने के लिए 3.25 इंच मोटे स्टील के तारों का उपयोग किया गया है. ऑर्सीबो राडार यानी एंटीना कुल 20 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है. इसकी गहराई 167 फीट है. (फोटोः Arecibo Observatory)

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इसी बड़े एंटीना की मदद से आर्सीबो ऑब्जरवेटरी के वैज्ञानिकों ने यह बताया कि एस्टेरॉयड 29 अप्रैल को धरती से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा. अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती लेकिन कम भी नहीं है. (फोटोः Arecibo Observatory)

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आपको बता दें कि इस ऑब्जरवेटरी में जेम्स बॉन्ड सीरीज की मशहूर फिल्म गोल्डन आई का क्लाइमैक्स सीन फिल्माया गया था. इस फिल्म में पियर्स ब्रॉसनन जेम्स बॉन्ड का किरदार निभा रहे थे. इसके अलावा इस ऑब्जरवेटरी में कई फिल्में, वेबसीरीज और डॉक्यूमेंट्रीज बन चुकी हैं.

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एस्टेरॉयड 52768 (1998 OR 2) का व्यास करीब 4 किलोमीटर का है. इसकी गति करीब 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेंकड. ये एक सामान्य रॉकेट की गति से करीब तीन गुना ज्यादा है. (फोटोः Arecibo Observatory)

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जिस समय यह एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरेगा, उस समय भारत में दोपहर के 3.26 मिनट हो रहे होंगे. सूरज की रोशनी के कारण आप इसे खुली आंखों से नहीं देख पाएंगे. (फोटोः Arecibo Observatory)

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इसके बारे में अंतरिक्ष विज्ञानी डॉक्टर स्टीवन प्राव्दो ने बताया कि उल्का पिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3.7 वर्ष लेता है. इसके बाद एस्टरॉयड 52768 (1998 OR 2) का धरती की तरफ अगला चक्कर 18 मई 2031 के आसपास हो सकता है. तब यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है.  (फोटोः Arecibo Observatory)

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बता दें कि साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था. एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था. (फोटोः Arecibo Observatory)

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