कोरोना मरीजों को एक और खतरनाक बीमारी घेर रही है. हालांकि इसके मामले कम हैं लेकिन ये बेहद खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी की वजह से आंखों में फंगल इंफेक्शन हो जाता है. इंफेक्शन बढ़ने पर रोशनी जाने का खतरा रहता है. इतना ही नहीं मामला ज्यादा गंभीर होने पर यह फंगल इंफेक्शन दिमाग में फैलने लगता है. आइए जानते हैं इस बीमारी, इसके बचाव और असर के बारे में... (फोटोः रॉयटर्स)
इस बीमारी का नाम है म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis). इसे पहले जाइगोमाइकोसिस (Zygomycosis) कहा जाता था. यह एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन होता है. आमतौर पर यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है. जो धीमे-धीमे आंखों तक फैल जाता है. इसका इंफेक्शन फैलते ही इलाज जरूरी है. अगर आपको नाक में सूजन या ज्यादा दर्द हो, आंखों से धुंधला दिखने लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाइए. (फोटोः गेटी)
म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) आंखों की पुतलियों के आसपास के इलाके को लकवाग्रस्त कर सकता है. ज्यादा दिनों तक संक्रमण फैला तो आंखों की रोशनी जाने का खतरा बढ़ जाता है. म्यूकोरमाइकोसिस डायबिटीज से ग्रस्त कोरोना मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज वाले कोरोना मरीजों को इससे बचना बेहद जरूरी है. अगर इसका इलाज सही समय पर हो जाए तो दिक्कत कम हो सकती है. (फोटोः रॉयटर्स)
म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) को ब्लैक फंगस (Black Fungus) भी कहते हैं. यह इसलिए नहीं कि संक्रमण काले रंग का होता है बल्कि इसलिए यह नाम दिया गया है कि इसके बाद आंखों की रोशनी चली जाती है. अंधेरा छा जाता है. यदि इंफेक्शन ज्यादा गंभीर अवस्था में पहुंचता है तो मेनिनजाइटिस और साइनस क्लोटिंग का खतरा भी बढ़ जाता है. (फोटोः गेटी)
दो दिन पहले दिल्ली में सर गंगराम अस्पताल में 12 मामले सामने आए थे. इन कोरोना मरीजों को म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) इंफेक्शन हो चुका है. अगर 15 दिनों में इसका इलाज न किया जाए तो यह दिमाग को भी संक्रमित कर सकता है. ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी प्रकार से डरना नहीं है बल्कि सतर्क रहना है ताकि सही समय पर इलाज मिल सके. (फोटोः रॉयटर्स)
इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी खबर के अनुसार सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने कहा कि गंभीर कोरोना मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) के मामले देखने को मिले हैं. हम पूरी तरह से सतर्क हैं. अगर किसी कोरोना मरीज के नाक, आंख या गले में सूजन दिखती है तो हम तुरंत उसकी जांच करते हैं कि कहीं उसे ब्लैक फंगस तो नहीं हुआ है. (फोटोः रॉयटर्स)
ऐसे मरीजों की तत्काल बायोप्सी करवा कर एंटीफंगल थैरेपी शुरू की जाती है ताकि आंखों तक संक्रमण न फैले. म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) इंफेक्शन पोस्ट कोविड पेशेंट यानी कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को भी घेर रही है. इसलिए देश के सभी डॉक्टरों को कहा गया है कि पोस्ट कोविड पेशेंट को लेकर अलर्ट रहें. उनमें होने वाले साइड इफेक्ट को गंभीरता से लें, ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो और समय पर इलाज हो सके. (फोटोः रॉयटर्स)