आज से 24 साल पहले हरियाणा के एक गांव में दो हवाई जहाजों के हवा में भीषण टकराव से सनसनी मच गई थी. पश्चिमी दिल्ली से करीब 100 किलोमीटर दूर चर्खी दादरी में सऊदी अरब एयरलाइन्स फ्लाइट 763 और एयर कजाकिस्तान फ्लाइट 1907 के बीच हुई भिड़ंत से पूरा देश सिहर उठा था. दोनों ही प्लेन में मौजूद क्रू और यात्रियों की मौत हो गई थी और इस घटना में 349 लोग मारे गए थे.
जांच में सामने आया था कि कजाकिस्तान के पायलट्स उस दौर में सोवियन यूनियन के साथ भी प्लेन्स उड़ाते थे. सोवियत मेट्रिक सिस्टम का इस्तेमाल करते थे लेकिन नई दिल्ली में एयर ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़े लोग इंग्लिश यूनिट्स का इस्तेमाल करते थे. एयर ट्रैफिक ने दोनों एयरप्लेन को मीटर के बजाए फीट में निर्देश दिए थे जिससे ये कंफ्यूजन हो गया था. इसके अलावा कजाकिस्तान के क्रू को इंग्लिश समझने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता था.
रिपोर्ट्स के अनुसार, गांव में मौजूद लोगों को एक भीषण आवाज सुनाई दी थी और इसके बाद आसमां कुछ देर के लिए लाल हो गया था. गांववाले अपनी छतों पर जा-जाकर ये समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर हुआ क्या है. कई लोगों को ये भी लगा था कि भारत पर किसी ने हमला कर दिया है. इस घटना को देखने वाले लोगों का कहना था कि ऐसा लगा था कि जैसे आसमां से आग का गोला नीचे गिर रहा है और उसके बाद खून की बारिश होने लगी थी. इससे साफ हो गया था कि दो एयरप्लेन हवा में टकराए हैं.
इस घटना के सामने आने के बाद दूर-दराज से लोग भी इस क्षेत्र में पहुंचे थे. कई लोगों ने इतनी पास से कभी प्लेन नहीं देखा था और ना ही इतनी भीषण त्रासदी को. इस घटना के बाद कुछ धर्म के लोगों ने सामने आकर इन शवों का अंतिम संस्कार किया था.
इस हादसे को अब तक की सबसे खतरनाक हवाई भिड़ंत में से एक माना जाता है. गांव के खेतों में अलग-अलग जगहों पर जले हुए शव पड़े थे जिन्हें ट्रैक्टर्स की ट्रॉलियों में भी ले जाया गया था लेकिन ये टक्कर इतनी भयानक थी कि ज्यादातर लोग मौके पर ही मर चुके थे. इन दोनों एयरप्लेन्स में मरने वाले ज्यादातर लोग भारतीय ही थे.
हालांकि मॉर्डन टेक्नोलॉजी, बेहतर रडार सिस्टम और एडवांस कंप्यूटर सॉफ्टवेयर्स होने के चलते हवा में इस तरह की खतरनाक टक्कर पिछले कई सालों में नहीं देखी गई हैं जबकि पिछले 20 सालों की तुलना में आज के दौर में एयरप्लेन्स कहीं ज्यादा उड़ रहे हैं.