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ब्लैक टॉप कहां है, जिसे चीन के चंगुल से छीन लिया भारतीय जवानों ने

aajtak.in
  • 01 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST
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ब्लैक टॉप...पैंगोंग लेक पर ऐसी पहाड़ी जहां अपना कब्जा होना बेहद जरूरी है नहीं तो चीनी सैनिक इसका फायदा उठा सकते हैं. इसी फीचर को भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराया है. वहां मौजूद सीसीटीवी और संचार उपकरण हटा दिए गए हैं. मई महीने से ही पूर्वी लद्दाख का पैंगोंग झील इलाका विवाद का बड़ा केंद्र रहा है. यह झील करीब 4270 मीटर ऊंचाई पर है. यह करीब 135 किलोमीटर लंबी है. 

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इसका पूरा क्षेत्र करीब 600 वर्ग किलोमीटर है. झील के करीब दो-तिहाई हिस्से पर चीन का कब्जा है. करीब 45 किमी का हिस्सा भारत के अधीन है. झील के पश्चिमी हिस्से को LAC बांटती है. ताजा विवाद जो हुआ है वो पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में है. यह विवादित एरिया ब्लैक टॉप पहाड़ी के नजदीक है, जो चुशूल से 25 किमी पूर्व में है. ब्लैक टॉप पर हालांकि चीन का नियंत्रण है. लेकिन यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ने उसे परेशान कर दिया है. 

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शनिवार की रात भारतीय जवानों के दिखा कि करीब 300 चीनी सैनिक ब्लैक टॉप के पास किलेबंदी कर रहे हैं. इसके बाद भारतीय जवान तेजी से उधर बढ़े और उन्होंने चीनी सैनिकों को भगा दिया. ब्लैक टॉप पर अपना नियंत्रण कर लिया. ब्लैक टॉप के पीछे ही फिंगर-4 और फिंगर-8 हैं. फिंगर-4 पर भी चीन की सरकार और सेना अपना कब्जा बताती रहती है. 

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पैंगोंग झील का दक्षिणी इलाका भारत के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां भारतीय सेना का कब्जा है. हमेशा से यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ज्यादा रही है. जबकि झील के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय सैनिक सिर्फ पेट्रोलिंग करते हैं. यही वजह है कि चीन मौजूदा बातचीत में भी यहां से भारतीय सैनिकों को हटाने की डिमांड रख रहा है. दक्षिणी हिस्सा चुशूल और रेजांग लॉ के करीब पड़ता है. 

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चुशूल क्षेत्र एक ऐसा इलाका जिसका इस्तेमाल अटैक करने के लिए लॉन्च पैड के रूप में किया जा सकता है. क्योंकि यहां काफी जगह समतल है, जो सैन्य गतिविधियों के लिए मुफीद मानी जाती है. 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था और भारत को शिकस्त झेलनी पड़ी थी. 

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मगर, अब वक्त बदल गया है. भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में उन जगहों पर खुद को स्थापित कर लिया है जहां से जरूरत पड़ने पर चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जा सकता है. इसलिए चीन बौखलाया है. भारत ने उसकी कोशिशों को नाकाम कर दिया है तो वो कहने लगा है कि भारतीय सैनिक उनके इलाके में घुस आए हैं. अब चीन मीटिंग में यह मुद्दा उठा रहा है. चीन चाहता है कि वहां से भारतीय सैनिक हट जाएं, जहां ताजा विवाद हुआ है.

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भारत ने पिछले कुछ महीनों में चुशूल के पास स्थित स्पांगुर पास पर टी-90 टैंक यानी भीष्म टैंक स्थापित कर दिए हैं. जो किसी भी तरह के चीनी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं. आपको बता दें 1962 में चुशूल के पास स्थित रेक्विन ला और रेजांग ला के पास 13वीं कुमाऊं बटालियन ने चीनी सैनिकों से जी-जान से लड़ाई की थी. यहीं पर मेजर शैतान सिंह शहीद हुए थे. इसके बाद से भारतीय सेना ने ऐसी हर जगह पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है जहां से चीन दिक्कत कर सकता है. 

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पिछली बार विवाद के बाद चीन के सैनिकों को गलवान के इलाके से पीछे हटना पड़ा था. इसके अलावा दौलत बेग ओल्डी के पास स्थित देपसांग के मैदान से हटना पड़ा. वहीं, भारतीय जवानों ने LAC के नजदीक तीन पैट्रोलिंग प्वाइंट्स पर स्थित बॉटलनेक पर चीनी सैनिकों को रोक दिया था. जिसकी वजह से चीनी सेना PLA भड़की हुई है. 

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