Advertisement

ट्रेंडिंग

जापान में क्यों इतने ज्यादा लोग करते हैं सुसाइड? जानिए वजह...

aajtak.in
  • 01 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST
Why Suicide Rate is more in Japan
  • 1/10

जापान में लोग कोरोना से ज्यादा खुदकुशी की वजह से मर रहे हैं. हाल ही में ऐसी एक रिपोर्ट आई थी कि अक्टूबर महीने में जापान में 2153 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि कोरोना की वजह से सालभर में 2087 लोगों की मौत हुई है. जबकि, जापान हैप्पी प्लैनेट इंडेक्स में 58वें स्थान पर है. लेकिन यहां पर बढ़ रही खुदकुशी की दर लोगों को चिंता में डाल रही है. आखिरकार जापान के लोग इतनी ज्यादा खुदकुशी क्यों करते हैं? (फोटोः गेटी)

Why Suicide Rate is more in Japan
  • 2/10

जापान में पिछले साल 25 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान ली. यानी उन्होंने आत्महत्या की. यानी हर दिन करीब 70 लोग खुदकुशी कर रहे हैं. इसमें से ज्यादातर पुरुष हैं. किसी विकसित देश में खुदकुशी की यह दर सरकार और लोगों को परेशान करने वाली हो सकती है. हालांकि, विकसित देशों में सबसे ज्यादा खुदकुशी की दर दक्षिण कोरिया में है. फिर भी जापान में आत्महत्या की तरफ बढ़ना एक विडंबना है. (फोटोः गेटी)

  • 3/10

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में जापान की बुलेट ट्रेन में एक 71 वर्षीय व्यक्ति ने खुद को आग लगा ली थी. उसने अपने कोच में बैठे बाकी यात्रियों से पहले दूर जाने को कहा फिर खुद को आग के हवाले कर दिया. चश्मदीद लोगों ने बताया कि ऐसा करने से पहले वह व्यक्ति दुखी था, उसकी आंखों में पानी भरा था. बात में जापान की मीडिया में खबरें आईं कि वह बुजुर्ग एल्यूमिनियम के केन जमा करके उनसे रोजी-रोटी कमाता था. (फोटोः गेटी)

Advertisement
  • 4/10

जापान टुडे वेबसाइट के अनुसार उगते सूरज के देश में अपनी जान लेना एक बड़ा सामाजिक मुद्दा बना हुआ है. हाल ही में टेरेस हाउस नामक इंटरनेट शो की कास्ट मेंबर हना किमूरा ने अपनी जान ले ली. 22 वर्षीय हना पिछले कुछ दिनों से ऑनलाइन एब्यूज की शिकार हो रही थीं. इसके बाद शो को बंद कर दिया गया. हना एक प्रोफेशनल रेसलर भी थीं. इन्हें बहुत ज्यादा लोग पसंद करते थे लेकिन इंटरनेट पर हुई बुलीईंग के चलते खुदकुशी कर ली. खुदकुशी से पहले ट्विटर पर एक नोट भी लिखा था. (फोटोः इंस्टाग्राम/हनाकिमूराफैन्स)

  • 5/10

टोक्यो टेंपल यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजिस्ट वतारू निशिदा ने बताया कि जापान में लोग डिप्रेशन में जाते ही आइसोलेट हो जाते हैं. खुद को दुनिया से अलग कर लेते हैं. स्थिति बिगड़ने पर खुदकुशी कर लेते हैं. ऐसा करने वाले ज्यादातर बुजुर्ग लोग होते हैं. क्योंकि उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है. बच्चे उनका ख्याल नहीं रखना चाहते. (फोटोः गेटी)

  • 6/10

निशिदा कहते हैं कि जापान में सम्मानजनक तरीके से खुदकुशी करने की बेहद प्राचीन लेकिन एक अनाधिकारिक संस्कृति बनी हुई है. उन्होंने समुराई लड़ाकों द्वारा सेपुकू (Seppuku) प्रथा की ओर इशारा किया. इस प्रथा के अनुसार समुराई लड़ाके विभिन्न सांस्कृतिक कारणों की वजह से खुद की जान ले लेते हैं. कई बार तो समुराय तलवार से अपना पेट चीर देते हैं. इस प्रथा को हाराकिरी (Harakiri) भी कहते हैं. (फोटोः गेटी)

Advertisement
  • 7/10

जापान में ईसाइयत का असर बेहद कम है. इसलिए यहां खुदकुशी को बहुत से लोग पाप नहीं मानते. बल्कि एक तरह की जिम्मेदारी समझते हैं. जापान हेल्पलाइन के स्टाफ केन जोसेफ कहते हैं कि पिछले 40 सालों से मैं ये देख रहा हूं. बुजुर्ग लोग आर्थिक रूप से कमजोर होने पर ये कदम उठाते हैं. जब लोग ज्यादा उधारी हो जाते हैं तब भी खुदकुशी कर लेते हैं. (फोटोः गेटी)

  • 8/10

अब तो जापान में 20 से 44 साल के युवा भी खुदकुशी कर रहे हैं. युवा लोगों के खुदकुशी करने की दर भी तेजी से बढ़ी है. इनकी संख्या साल 1998 के एशियाई मंदी के बाद तेजी से बढ़ी. साल 2008 के वैश्विक मंदी के बाद तो बहुत तेजी से युवाओं ने खुदकुशी को आसान रास्ता माना. जबकि, जापान को जीवनपर्यंत रोजगार वाला देश माना जाता है. जापान के 40 फीसदी युवाओं के साथ दिक्कत ये है कि वो एक स्थाई नौकरी नहीं खोज पाते. (फोटोः गेटी)

  • 9/10

खुद को एकांतवास में ले जाना भी जापान में खुदकुशी का पहला चरण माना जा रहा है. इस स्थिति को जापान में हिकिकोमोरी (Hikikomori) कहा जाता है. इसमें लोग खुद को समाज, परिवार, दोस्तों और पूरी दुनिया से खुद को अलग-थलग कर लेते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजहें हैं...बेरोजगारी, आर्थिक कमजोरी, डिप्रेशन, दबाव, किसी की कोई बात बुरी लगना आदि. जापान की सरकार के एक आंकड़े के अनुसार साल 2010 में 7 लाख लोग हिकिकोमोरी में थे. इनकी औसत उम्र 31 थी. (फोटोः गेटी)

Advertisement
  • 10/10

जापान में 1990 के दशक को 'द लॉस्ट डिकेड' यानी खोया हुआ दशक कहा जाता है. यानी इस दशक में हर साल करीब 30 हजार जापानियों ने खुदकुशी की थी. क्योंकि समय था आर्थिक मंदी और अस्थिरता का. यही हाल 2010 तक रहा. उसके बाद स्थिति में सुधार आना शुरू हुआ लेकिन हाल के दिनों में फिर जापानी लोगों द्वारा खुदकुशी करने के मामलों में इजाफा हुआ है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement