पाकिस्तान में इंसान ही कष्ट नहीं सह रहे, जीव-जंतु भी अत्यधिक दर्द से परेशान रहते हैं. हाल ही में दुनिया के सबसे अकेले हाथी 'कावन' को इस्लामाबाद के मर्गहजार चिड़ियाघर से कंबोडिया की सैंक्चुरी में भेज दिया गया. लेकिन उसने सालों तक इस चिड़ियाघर में जो कष्ट झेला है उसके सबूत आज भी उसके बाड़े में दिखाई देते हैं. (फोटोःगेटी)
अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने इस हाथी की पीड़ा को बयान करने वाली एक स्टोरी अपनी साइट पर प्रकाशित की है. इसमें लिखा है कि कैसे कावन को जेल में बंद करके रखा गया था. उसके बाड़े की हालत खराब थी. रहने लायक नहीं थी. कोई उसका ख्याल नहीं रखता था. उसके साथ बुरा व्यवहार होता था. उसे लोहे की जंजीरों में हमेशा बांधकर रखा जाता था. (फोटोःगेटी)
अब भी उसके बाड़े में लोहे का बड़ा सा चुल्ला जमीन से धंसा हुआ है. कावन के जाने के बाद यह चिड़ियाघर बंद हो गया है, लेकिन कावन के साथ घटी दर्दनाक घटनाओं का सबूत आज भी ये जगह दे रही है. छह हफ्ते पहले पाकिस्तान के एक जज के फैसले और सिंगर चेर के नेतृत्व वाले विदेशी गायकों के एक समूह ने इस हाथी को सही जगह पहुंचाने का प्रयास किया. (फोटोःगेटी)
30 नवंबर को कावन को पाकिस्तान के जुल्म और खुद की पीड़ादायक जिंदगी से आजादी मिली. उसे कंबोडिया ले जाया गया. कावन को लेकर कई बार मीडिया में खबर आई कि इसे कम खाना दिया जाता था. बीमार पड़ने पर ध्यान नहीं दिया जाता था. इस चिड़ियाघर में मौजूद दर्जनों हाथी किस वजह से मरे किसी को पता नहीं चला. कुछ लापता हो गए, कुछ कथित तौर बेच दिए गए. (फोटोःगेटी)
फ्रेंड्स ऑफ द इस्लामाबाद जू नामक गैर सरकारी संस्था के संस्थापक मुहम्मद बिल नवीज ने बताया कि मर्गहजार चिड़ियाघर में सिर्फ एक ही प्रशिक्षित व्यक्ति था. किसी और स्टाफ के पास जानवरों के साथ काम करने और उनका देखभाल करने की कोई ट्रेनिंग नहीं थी. हम कई बार चिड़ियाघर जाकर समस्याओं को देखते थे, उन्हें संबंधित अधिकारियों और प्रशासन के सामने उठाते थे लेकिन कोई हमारी बात नहीं सुनता था. (फोटोःगेटी)
मुहम्मद बिन नवीज ने बताया कि चिड़ियाघर में स्टाफ की भर्ती राजनीतिक संबंधों के जरिए हुई थी. वो टिकट में कंशेसन के नाम पर लोगों से पैसे कमाते थे. इसलिए जानवरों की भलाई के लिए कोई नहीं सोचता था. पाकिस्तानी पर्यावरण मंत्रालय के बड़े अधिकारी मलिक अमीन असलम कहते हैं कि अब इस जगह को आधुनिक वाइल्डलाइफ पार्क बनाया जाएगा. (फोटोःगेटी)
मलिक ने बताया कि चिड़ियाघर की समस्याओं से हमने बहुत कुछ सीखा है. अब किसी भरोसेमंद आदमी के हाथ में जीव-जंतुओं और पार्क का काम दिया जाएगा. जो इनसे प्यार करे. पाकिस्तान के अन्य शहरों में मौजूद चिड़ियाघरों की भी यही हालत है. कुछ हफ्ते पहले पेशावर के चिड़ियाघर में एक जिराफ मर गया. (फोटोःगेटी)
कराची में एक शेर की मौत हो गई. लाहौर में 150 साल पुराने चिड़ियाघर में पिछले कुछ सालों में एक चिम्पांजी, बंगाल टाइगर, काले भालुओं की मौत बीमारी से हुई. उनकी देखरेख नहीं की गई. इनके अंदर मनोवैज्ञानिक समस्याएं मिली थीं. इसका मतलब ये है कि इन जानवरों के साथ भी बुरा व्यवहार किया गया था. पिछले महीने इस्लामाबाद से दो भालुओं को जॉर्डन भेजा गया है. उनकी हालत भी खराब थी. (फोटोःगेटी)