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चार महीने तक रखी मोबाइल-गैजेट्स से दूरी... यंग ट्रैवलर ने बताया कैसा था अनुभव

कल्पना कीजिए, क्या होगा जब कोई शख्स मोबाइल, गैजेट जैसे तकनीकी तामझाम से दूर होकर जीने का चैलेंज करे. चीन के एक युवा, यांग हाओ ने ऐसा ही किया. उन्होंने बिना किसी गैजेट के 134 दिन तक चीन में यात्रा की.

Representative Image-(AI) Representative Image-(AI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

तकनीक इंसानों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए है, लेकिन आज के समय में यह उन्हें नियंत्रित करने लगी है. हर इंसान मानसिक रूप से वर्चुअल दुनिया में उलझा रहता है. इंसान अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में तकनीक पर इतना निर्भर हो गया है कि इसके बिना एक दिन भी गुजारना भारी लगने लगता है. ये सभी संकेत साफ़ तौर पर बताते हैं कि हम तकनीक के गुलाम बन गए हैं.

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कल्पना कीजिए, क्या होगा जब कोई शख्स मोबाइल, गैजेट जैसे तकनीकी तामझाम से दूर होकर जीने का चैलेंज करे. चीन के एक युवा, यांग हाओ ने ऐसा ही किया. उन्होंने बिना किसी गैजेट के 134 दिन तक चीन में यात्रा की. यांग हाओ का यह अनुभव बहुतों को हैरान कर देगा, क्योंकि आज के समय में ज्यादातर लोग मोबाइल फोन के बिना एक दिन भी बिताना भी भारी पड़ता है.

बिना मोबाइल, इंटरनेट के सफरनामा

यांग हाओ, जो 1990 के दशक में जन्मे हैं और ब्रिटेन की एक विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे हैं. पिछले साल नवंबर में शांक्सी प्रांत की राजधानी ताइयुआन से अपनी यात्रा शुरू की थी. इस यात्रा के दौरान उन्होंने 24 प्रांतों और क्षेत्रों का दौरा किया.

यांग ने इस यात्रा में बिना किसी टेक्नॉलाजी के मदद के की. उनके पास न तो मोबाइल फोन था और न ही इंटरनेट. उन्होंने नक्शों, स्थानीय लोगों की मदद और अपनी समझ के आधार पर चीन के विभिन्न हिस्सों को देखा और अनुभव किया.

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क्या-क्या आई मुश्किलें

यांग ने बताया कि बिना मोबाइल फोन के उन्हें कई असुविधाओं का सामना करना पड़ा. जैसे, वह होटल बुक नहीं कर सके, नक्शा नहीं देख सके, और टैक्सी नहीं बुला सके. अधिकांश दुकानों में कार्ड स्वाइप मशीन नहीं थीं, इसलिए नकद निकालने के लिए उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ी. इन समस्याओं का समाधान करने के लिए उन्हें अजनबियों से बात करनी पड़ी और उनसे मदद ली. 

 "टाइम मशीन से आज की दुनिया में आ गया"

यांग ने कहा कि मोबाइल फोन अक्सर ध्यान भटकाते हैं, इसलिए बिना फोन के यात्रा के दौरान वे किताबें पढ़ने या लिखने पर ध्यान केंद्रित कर सके. यांग ने अपनी यात्रा पर लिखे गए लेखों की किताब और अपने द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री प्रकाशित करने की योजना बनाई है। उनके अनुभव ने सोशल मीडिया पर चर्चा पैदा की, जहां लोगों ने इसे सराहा और अपने विचार साझा किए.

उन्होंने कहा की मैं खुद को ऐसे शख्स के रूप में देख रहा था जो टाइम मशीन से आज की दुनिया में आ गया हो, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि तकनीक ने इंसानों की जिंदगी कितनी बदल दी है.

यांग ने कहा कि मोबाइल फोन अक्सर ध्यान भटकाते हैं, इसलिए बिना फोन के यात्रा के दौरान वे किताबें पढ़ने और लिखने पर ध्यान केंद्रित कर पाए. उन्होंने अपनी यात्रा के अनुभवों पर आधारित लेखों की एक किताब और एक डॉक्यूमेंट्री प्रकाशित करने की योजना बनाई है. उनके इस अनोखे अनुभव ने सोशल मीडिया पर बहस की शुरूआत की है, जहां लोगों ने बात की तकनीक के बिना भी इंसान जिंदगी अच्छे से जी सकता है.

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