
एक लड़की ने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया है. उसने जो कुछ भी झेला वो किसी बुरे सपने से कम नहीं था. लड़की को अब भी अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा कि उसके साथ ऐसा भी हो सकता है. डाएप एक 19 साल की वियतनामी लड़की थीं. वो नई नौकरी शुरू करने की उम्मीद में थीं. उन्हें वियतनाम से म्यांमार लाया गया. यहां लाकर उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया. बाहर से दूसरे लोगों की आवाजें आती थीं लेकिन वो उन्हें देख नहीं पाती थीं.
अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस घर के कमरे में उन्हें रखा गया, वहां हथियारों के साथ गार्ड निगरानी कर रहे थे. तब तक वो समझ चुकी थीं कि उन्हें नौकरी का झांसा देकर तस्करी का शिकार बनाया गया है. अब उन्होंने अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दी है. पांच बहन भाई वाले एक गरीब परिवार में पली बढ़ी डाएप बस दो वक्त की रोटी की तलाश में थीं. उन्होंने 14 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर फैक्ट्री में काम करना शुरू किया क्योंकि परिवार के पास शिक्षित करने के लिए पैसे नहीं थे.
फेसबुक पर एक शख्स से हुई दोस्ती
फैक्ट्री में तीन साल तक काम करने के बाद उन्होंने कपड़े की दुकान और रेस्टोरेंट में भी काम किया. लेकिन पैसा बहुत कम मिलता था. फिर 2019 में उनकी एक शख्स के साथ फेसबुक पर दोस्ती हो गई. उसने म्यांमार में नौकरी दिलाने का ऑफर दिया. कई बार इस ऑफर को लेकर बातचीत हुई. कहा गया कि वेटरेस की नौकरी करनी होगी और अच्छा खासा पैसा मिलेगा. फिर डाएप अपने ऑनलाइन दोस्त के साथ म्यांमार आ गईं.
एयरपोर्ट पर पहुंचते ही डाएप को 24 घंटे तक अलग-अलग कार में बिठाकर शहर का चक्कर लगवाए जाने के बाद शान राज्य में छोड़ा गया. उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया. उनसे कहा गया कि उनका काम वेश्यावृत्ति करना होगा. डाएप ने इससे इनकार कर दिया. अब वहां मौजूद लोगों ने उन्हें काबू में करने की कोशिश की. काफी मारा पीटा. लेकिन वो विरोध करती रहीं.
गार्ड कमरे में रेप करके गए
घर की रखवाली करने वाले लोग डाएप के कमरे में आकर उनके साथ रेप करके गए. उनसे कहा गया कि अगर वेश्या का काम नहीं करोगी, तो उसकी सजा रेप होगी, जो रोज मिलेगी. उन्हें दूसरी महिलाओं से बात करने नहीं दिया जाता था, जिनमें कई वियतनामी शामिल थीं. इन्हें नशीला पदार्थ दिया जाता था. डाएप वहां से भागना चाहती थीं, लेकिन फिर जल्द ही समझ गईं कि ऐसा किया तो मार डाला जाएगा. हालांकि उन्हें फोन इस्तेमाल करने की इजाजत थी.
उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं ऐसी स्थिति में हूं. मैंने अपने बुरे सपनों में भी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी ऐसी हो जाएगी.' डाएप को हनोई स्थित ब्लू ड्रैगन चिल्ड्रन्स फाउंडेशन ने रेस्क्यू किया. इसका काम मानव तस्करी के शिकार लोगों को बचाना है.
अब भी फंसा हुआ महसूस करती हैं
अब डाएप का कहना है, 'मुझे एहसास है कि मैं आजाद हूं, मैं घर पर हूं, मैं अपने माता-पिता को दोबारा देख पाई हूं और दर्द खत्म हो गया है. लेकिन वो हैरानी भरा था. मुझे उस पर विश्वास नहीं हो रहा है. कई बार, मैं उम्मीद करती हूं कि मेरा वहां का समय एक बुरा सपना है लेकिन तभी, कई बार, जब मैं घर पर होती हूं, तो सोचती हूं कि ये एक सपना है... और तभी मैं डर जाती हूं कि ये सच नहीं है, मैं केवल सपना ही देख रही हूं और मैं अब भी वहीं फंसी हूं.'
जब डाएप को वियतनाम लाया गया, तब उनकी उम्र 22 साल थी. वो तीन साल से अधिक वक्त तक वेश्यावृत्ति करने को मजबूर थीं. इससे उन्हें ऐसे घाव मिले हैं, जो ताउम्र रहेंगे और बुरे सपने की तरह आज दिन में भी डराते हैं.