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असम हिंसा के लिए बांग्लादेशी प्रवासी जिम्मेदारः आडवाणी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को असम में साम्प्रदायिक हिंसा के लिए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में आने की छूट देने का राज्य और केंद्र सरकार पर आरोप लगाया.

लालकृष्ण आडवाणी लालकृष्ण आडवाणी
aajtak.in
  • गुवाहाटी,
  • 31 जुलाई 2012,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को असम में साम्प्रदायिक हिंसा के लिए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में आने की छूट देने का राज्य और केंद्र सरकार पर आरोप लगाया.

आडवाणी ने असम के हिंसाग्रस्त इलाकों का मंगलवार को दौरा किया. उन्होंने कहा कि इस हिंसा को भारतीय बनाम विदेशी मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि हिंदू बनाम मुस्लिम मुद्दे के रूप में.

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बोडो और बांग्लाभाषी मुस्लिम प्रवासियों के बीच 19 जुलाई से शुरू सप्ताहभर की हिंसा में 56 लोग मारे जा चुके हैं और लाखों बेघर हो चुके हैं.

आडवाणी ने कहा, ‘आज की स्थिति पैदा होने का पहला कारण यह रहा है कि हालत से निपटने में देरी हुई, जबकि ऐसा कुछ घटने के लक्षण पहले से वहां मौजूद थे. लेकिन मैंने जैसा कहा कि असली जड़ को पहचानने के लिए आत्ममंथन करना चाहिए, जो कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ से जुड़ा हुआ है.’

आडवाणी ने कहा, ‘राज्य सरकार और केंद्र सरकार की मिलीभगत से हुई घुसपैठ के परिणामस्वरूप असम के लोग महसूस कर रहे हैं कि अपनी ही जमीन से उनका नियंत्रण समाप्त हो रहा है, जबकि अवैध बांग्लादेशियों ने बड़े पैमाने पर भूमि पर कब्जा कर लिया है.’

आडवाणी ने कहा, ‘दूसरी समस्या जातीय है. बोडो अपनी ही जमीन पर हाशिए पर धकेले जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं.’

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आडवाणी ने कहा, ‘तीसरी समस्या असम में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव की है.’

असम में विस्थापित लोगों के हालात की तुलना विस्थापित कश्मीर पंडितों से करते हुए आडवाणी ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह), कांग्रेस अध्यक्ष (सोनिया गांधी) और असम सरकार से चाहूंगा कि वे ईमानदारी से आत्ममंथन करें कि समस्या की जड़ कहां है. यह सब आखिर कैसे हुआ?’

आडवाणी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से सहमत हैं कि यह घटना देश के माथे पर एक कलंक है. उन्होंने कहा कि एक नया राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार किया जाना चाहिए और असम में गैर नागरिकों के नाम मतदाता सूची से मिटा दिए जाने चाहिए.

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