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अबू हमजा: एक आंख, बिना हाथों वाला खूंखार आतंकी जो कभी था Dude, महिलाओं को बनाता हवस का शिकार

अपने स्ट्रिप क्लब के दिनों में 'महिलाओं से संबंध' बनाने के लिए मशहूर दुर्दांत आतंकी अबू हमजा ने हाल ही में अमेरिका की जेल से रिहा होने के लिए एक नई तरकीब निकाली है. हमजा आतंकवाद और अपहरण के अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

अबू हमजा का शुमार दुनिया के सबसे दुर्दांत आतंकियों में है  अबू हमजा का शुमार दुनिया के सबसे दुर्दांत आतंकियों में है 
बिलाल एम जाफ़री
  • नई दिल्ली ,
  • 25 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST

दुनिया की अलग-अलग जेलों में ऐसे तमाम दहशतगर्द बंद हैं, जिन्होंने अपनी आतंकी गतिविधियों से दुनिया को दहलाया है. इनमें से कई ऐसे हैं, जिनकी कहानियां शहरीर में सिहरन पैदा करती हैं. और बताती हैं कि अच्छा हुआ ये लोग समय रहते कानून की गिरफ्त में आ गए. वरना हर रोज इनकी गतिविधियां मानवता को शर्मसार करतीं. ऐसी ही एक कहानी है नफरत से भरे हुए एक दुष्ट आतंकी और अपने को इस्लाम धर्म का उपदेशक कहने वाले अबू हमजा की. 

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अलकाट्राज़ ऑफ़ द रॉकीज़ नाम से मशहूर अबू हमजा फ़िलहाल फ़ेडरल जेल में सड़ रहा है. जैसा इसके  परिजनों का व्यवहार है, वो यही चाहते हैं कि वी जल्द से जल्द बाहर आए जाए. 

बताते चलें कि एक आंख वाला अबू हमजा स्वाभाव से बेहद कट्टरपंथी है और हाथ में मेटल का बना हुआ हुक पहनता है, ये शख्स अभी कोलोराडो में सुपरमैक्स के नाम से मशहूर एडीएक्स फ्लोरेंस जेल में आतंकवाद के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

जिस अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में अबू हमजा बंद है, उसे एक पूर्व वार्डन ने 'मौत से भी बदतर' जगह बताया है. साथ ही ये भी कहा है कि इस जगह पर मानवता की कोई गुंजाइश नहीं है. डेली मिरर की रिपोर्टपर यकीन करें तो  65 वर्षीय इस खूंखार आतंकी को जेल से बाहर निकालने के लिए उसके परिवार ने एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा दिया है.

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कहा जा रहा है कि इसके परिजन लंदन की सड़कों पर इसकी रिहाई के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. अबू हमजा के विषय में जो जानकारी आई है उसके अनुसार, उसका जन्म 1958 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में हुआ था और उसका नाम मुस्तफा कामेल मुस्तफा था. उनके पिता एक नौसेना अधिकारी थे और उनकी माँ एक प्राथमिक विद्यालय में अच्छी पोजीशन पर काम करती थीं.

अपने देश में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वह 21 साल की उम्र में इंग्लैंड आया था. हमजा के विषय में एक रोचक बात ये भी है कि सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद उसने लंदन के एक स्ट्रिप क्लब को ज्वाइन किया और वहां बाउंसर की नौकरी की. 

बताया जाता है कि यहीं पर अपने शुरुआती दौर में हमजा को मोटी मोटी सोने की चेन पहनने का शौक लगा. 80 के दौर में हमजा सोहो क्लबलैंड जीन एगियस का दरबान और अंगरक्षक था और उस समय उसकी इस्लाम में कोई रुचि नहीं थी.

अपने इस पूर्व कर्मचारी के विषय में बताते हुए एगियस ने कहा है कि मैं इस आदमी को मुस्तफा के रूप में तब से जानता हूं. जब ये छोटा था. उस वक़्त को याद करते हुए एगियस ने बताया कि तब वह बहुत मजबूत और फुर्तीला था और मेरे निजी अंगरक्षक के रूप में काम करता था.

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उस दौर के मुस्तफा की तारीफ करते हुए एगियस ने ये भी कहा कि तब वह बहुत शिक्षित, प्रसन्नचित्त व्यक्ति था. हमज़ा के पूर्व सहयोगियों में से एक ने 'द सुसाइड फ़ैक्टरी' नामक किताब के लेखकों को यह भी बताया कि उसे कुछ हद तक प्लेबॉय माना जाता था.

उनके अनुसार, उस समय अबू हमजा टी-शर्ट पहनता थे और आमतौर पर उसके गले में सोने की चेन होती थी. उसके पास विशाल छाती, चौड़े कंधे और बड़े बाइसेप्स थे. वह अच्छा था और हां, वह हमेशा महिलाओं के इर्द गिर्द और उनसे अफेयर की तलाश में रहता था. 

तो कैसे अबू हमजा बना इस हद तक कट्टर और चुना आतंकवाद का रास्ता  

इस सवाल का जवाब अपने आप में बड़ा रोचक है. अपनी जवानी के दिनों में अबू हमजा की मुलाकात एक महिला से हुई जिससे उसके शादी की और इसी के बाद वो एक बेहद कट्टर मुसलमान बन गया. माना जाता है कि इसी महिला ने उसे कट्टरता से इस्लाम अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया.

कई दशकों बाद अपने ट्रायल में बोलते हुए अबू हमजा ने इस बात को कहा कि मैंने क्लबों से समय निकाला और मैंने इसका (इस्लाम का) आनंद लिया. स्ट्रिप क्लबों से तौबा करने के बाद हमज़ा ने दोबारा शादी की जिसके बाद उसके सात बच्चे हुए.

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इस समय तक हमजा ने अपनी डिग्री पूरी करने की सोची और उसने ब्राइटन पॉलिटेक्निक में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। ये वो समय था जब हमजा लगभग कट्टरपंथी बनने लगा था. 80 के दशक के अंत में वह अस्थायी रूप से अफगानिस्तान चला गया जहां एक विस्फोट में उसने अपनी एक आंख और दोनों हाथ खो दिए.

उसने फिर 1993 में यूके का रुख किया और ब्रिटिश इस्लाम में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में ख्याति अर्जित की और चार साल बाद उसे फिन्सबरी पार्क मस्जिद में अपने रहने के लिए घर मिल गया.माना जाता है कि धर्म का चोला ओढ़ कर इसी मस्जिद में अबू हमजा ने तमाम आतंकियों को पनाह दी.

कहा तो यहां तक जाता है कियहीं परअबू हमजा ने 9/11 के आतंकवादी जकारिया मौसाउई, रिचर्ड रीड और लंदन 7/7 के कुछ हमलावरों के रहने का प्रबंध किया था. क्योंकि अबू हमजा एक आतंकी होने के साथ साथ बेहद कट्टर धार्मिक प्रचारक भी है.

उसके विषय में मशहूर ये भी है कि एक बार उसने यहूदियों को 'बंदर के बच्चे' बताया था और 'हत्या और नफरत' को महिमामंडित किया था. उसने अपने फॉलोवर्स से कहा था कि गैर-मुसलमानों को मारना उनका 'धार्मिक कर्तव्य' है.

अंततः उसे 2015 में आतंकवाद और अपहरण के 11 आरोपों में दोषी पाए जाने के बाद सलाखों के पीछे डाल दिया गया और वह एडीएक्स फ्लोरेंस में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. 

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क्या है एडीएक्स फ्लोरेंस

एडीएक्स फ्लोरेंस एक जेल है. जिसे 1995 में खोला गया और इसका निर्माण इसलिए किया गया ताकि इसमें हत्यारे और आतंकवादी जैसे बेहद हिंसक और समाज के लिए खतरनाक कैदी रह सकें. 

इस जेल के विषय में बताया जाता है कि यहां जेल के चारों ओर एक दर्जन विशाल गार्ड टॉवर हैं, जिनमें 490 कैदी हैं, ये सभी कैदी एक 7 बाई 12 की अलग अलग कंक्रीट की कोठरियों में रहते हैं.

कैदी एक दूसरे से मिले नहीं इसलिए इनकी कोठरियों में ही इनका टॉयलेट और बाथरूम होता है. इनके लिए नियम कितने सख्त हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुलाकात के दौरान उन्हें दोस्तों और परिवार से भी अलग रखा जाता है और उन्हें ग्लास स्क्रीन के माध्यम से उनके साथ बातचीत करनी होती है.

गौरतलब है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के अमेरिका के निदेशक, एरिका ग्वेरा-रोसास ने इन जेलों की तीखी आलोचना करते हुए इन्हें अमानवीय बताया था. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि ऐसी चीजें क्योंकि अमेरिका में हो रही हैं जो कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है.

इस बीच, हमजा ने जेल को लेकर बार-बार शिकायत की है. एक बयान में, हमजा के समर्थकों ने कहा था कि, 'अमेरिकी उसे मृत मांस की तरह सड़ने के लिए छोड़ रहे हैं. वे उसका इलाज नहीं कर रहे हैं. उन्हें उसकी परवाह नहीं है.

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वहीं आरोप ये भी थे कि अमेरिकी अधिकारी चाहते हैं कि वह (हमजा) वहीं मर जाए, वे उसकी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं करते. समर्थक ये भी मानते हैं कि जो सुलूक हमजा के साथ किया जा रहा है उससे वो किसी बड़ी बीमारी की चपेट में आएगा जो उसकी मौत का कारण बनेगी.

अभी किस हाल में है ये आतंकी 

हमजा की पत्नी और दो बेटियों समेत सात बच्चे अब उसे ब्रिटेन वापस लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले को पत्र लिखकर कहा है कि उसे स्वास्थ्य और करुणा के आधार पर मुक्त किया जाना चाहिए.

हमज़ा ने अपनी रिहाई के लिए अपील करते हुए दस्तावेज़ भी जमा किए हैं और उसके वकीलों ने भी जेल कर्मचारियों पर भी तमाम तरह के गंभीर आरोप लागै हैं.

वहीं सजा सुनाते वक़्त कोर्ट ने हमजा को समाज के लिए एक बड़ा खतरा माना था और कहा था कि यदि उसे रिहा कर दिया जाए तो दुनिया सुरक्षित नहीं रहेगी.

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