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अमेरिका के परमाणु बम का इतना आसान था पासकोड! कोई भी आसानी से कर सकता था गेस

क्यूबा मिसाइल संकट और शीत युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किए गए परमाणु बम का लॉन्चिंग कोड इतना आसान था कि इस बारे में कोई भी अनुमान लगा सकता था. एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने ये दावा किया है.

अमेरिका के सीक्रेट परमाणु कोड का खुलासा (Pexels) अमेरिका के सीक्रेट परमाणु कोड का खुलासा (Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

शीत युद्ध के दौरान जब क्यूबा मिसाइल संकट बढ़ा तो अमेरिका ने न्यूक्लियर हमले की पूरी तैयारी कर ली थी. इसके लिए परमाणु बम का जो लॉन्च कोड था, वो इतना सरल था कि कोई भी आसानी से गेस कर ले.  इसका खुलासा उस वक्त परमाणु मिसाइलों को संचालित करने वाले एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने किया है. 
 
हालांकि, अमेरिकी वायुसेना के अधिकारियों ने लंबे समय तक इस अत्यधिक असुरक्षित और परेशान करने वाले सरल पासकोड के अपने व्यापक उपयोग से इनकार किया और इस बारे में कांग्रेस को एक रिपोर्ट भी सौंपी थी. अब फिर से एक पूर्व अधिकारी के खुलासे से लोग हैरान हैं. 

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वायुसेना ने इस मामले में कांग्रेस को दी थी रिपोर्ट
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार 1962 से 1977 तक अमेरिकी न्यूक्लियर बम लॉन्चिंग के लिए एक ऐसा पासकोड इस्तेमाल किया गया जो शायद 00000000 था. यह पासकोड उस समय के परमाणु-संचालित मिनुटमैन मिसाइलों पर लगाया गया था, ताकि किसी भी गैर-जिम्मेदार वायुसेना अधिकारी द्वारा परमाणु हमला शुरू न किया जा सके. लेकिन इतनी सरल और असुरक्षित पासकोड का इस्तेमाल क्यों हुआ, यह आज भी चर्चा का विषय है.

एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने किया पासकोड का खुलासा 
इस बहस के बीच प्रिंसटन के विद्वान और पूर्व मिनुटमैन मिसाइल लॉन्च अधिकारी डॉ. ब्रूस ब्लेयर ने एक अनक्लासिफाइड मैनुअल की जानकारी दी. इस मैनुअल ने पुष्टि की है कि पासकोड वास्तव में 00000000 ही था. डॉ. ब्लेयर ने प्रिंसटन के साइंस एंड ग्लोबल सिक्योरिटी साइट पर लिखा है - मैनुअल में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 'सामान्य परिस्थितियों में कोड इनसर्ट थंबव्हील स्विच 00000000 पर सेट किए जाएंगे.'उन्होंने यह भी कहा कि मैं और हजारों अन्य लॉन्च क्रू सदस्य गवाही दे सकते हैं कि यह कोड लॉन्च प्रक्रिया के दौरान भी 00000000 पर ही सेट रहता था.

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कैसे रिसेट किया गया था पासकोड 
डॉ. ब्लेयर के अनुसार यह मामला शीत युद्ध के दौरान राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी और उनकी वायुसेना के जनरलों के बीच चल रहे विवाद का परिणाम था. 1962 में राष्ट्रपति कैनेडी ने परमाणु हथियारों के अनधिकृत इस्तेमाल को रोकने के लिए परमिसिव एक्शन लिंक (PALs) नामक एक सुरक्षा प्रणाली लागू करने का आदेश दिया.

क्या थी शीत युद्ध और पासकोड की राजनीति?
दरअसल, अमेरिकी सामरिक वायु कमान के निर्माता जनरल कर्टिस लेमे ने वास्तव में जेएफके से आग्रह किया था कि वे सोवियत संघ को 'पाषाण युग में वापस ले जाने' के लिए अमेरिका के परमाणु हथियारों का पहले उपयोग करें. जब जेएफके ने अपने अधिक समझदार रक्षा सचिव रॉबर्ट मैकनामारा को इन मिसाइलों पर सुरक्षात्मक पीएएल स्थापित करने का काम सौंपा, तब लेमे के अमेरिकी सामरिक कमान के जनरलों ने 'लगभग तुरंत' सभी पीएएल कोड को 00000000 पर रीसेट कर दिया था.  ताकि युद्धकालीन आदेशों को लागू करने में देरी न हो.

ऐसे हुआ उस वक्त के लॉन्चिंग पासकोड का खुलसा
डॉ. ब्लेयर ने बताया कि 1970 से 1974 के बीच उनकी सेवा के दौरान, लॉन्च चेकलिस्ट में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया था कि लॉन्च बंकर में लॉकिंग पैनल पर यह सुनिश्चित करें कि किसी भी संख्या को '00000000' के अलावा न बदला गया हो. डॉ. ब्लेयर के खुलासों के बाद वायुसेना ने 2014 में कांग्रेस को एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर उनके दावे का खंडन किया. वायुसेना ने कहा कि आठ शून्य वाला कोड कभी मिनुटमैन मिसाइलों के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया.

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लेकिन डॉ. ब्लेयर ने अगले ही साल एक आधिकारिक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया, जिसमें 1969 के तकनीकी मैनुअल का जिक्र था. इस मैनुअल में लॉन्च सक्षम पैनल की तस्वीर भी थी, जिसमें 00000000 कोड सेट किया गया था. डॉ. ब्लेयर ने कहा कि वायुसेना ने कांग्रेस को गुमराह किया. वे बार-बार सच छुपाते हैं और गोपनीयता की आड़ में इससे बच निकलते हैं.

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