
बेंगलुरु में जारी जल संकट किसी से छुपा नहीं है. जैसे हालात हैं शहर के तमाम हिस्सों में लोग पानी की एक-एक बूंद के मोहताज हो गए हैं. ख़बरें ऐसी भी आ रही हैं कि पानी की कमी के कारण बेंगलुरु के निवासी अपनी रोजाना की जरूरतों के लिए मॉल्स का रुख कर रहे हैं. शहर में आए जल संकट को लेकर परेशान सिर्फ सरकार नहीं है. लोग भी पानी के प्रति गंभीर हैं. इसी क्रम में एक महिला डॉक्टर ने भी घर पर जल संरक्षण के लिए अपनी सफल रणनीतियों को सोशल मीडिया पर साझा किया है.
महिला डॉक्टर का दावा है कि उनके तरीकों ने उनकी जीवनशैली से समझौता किए बिना, उनके चार लोगों के परिवार को प्रतिदिन लगभग 600 लीटर पानी बचाया है. दिव्या शर्मा नाम की डॉक्टर ने बेंगलुरु में जारी गंभीर जल संकट के बीच पानी बचाने के लिए चार सुझाव साझा किए. जैसे सुझाव दिव्या के हैं, अगर कोई उन्हें अपनाए तो यकीनन पानी बचाया जा सकता है.
अपने सुझावों में डॉक्टर दिव्या ने ओवरहेड शॉवर को बाल्टी से बदलने की बात की है. उन्होंने कहा है कि जहां एक शॉवर प्रति मिनट लगभग 13 लीटर पानी की खपत कर सकता है, वहीं एक बाल्टी स्नान में कुल मिलाकर केवल 20 लीटर पानी की खपत होती है. अकेले इस स्विच के परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति 45 लीटर की बचत होती है, जिससे उनका परिवार हर दिन 180 लीटर की बचत करता है जो अभी के मुश्किल हालात में एक बड़ी राहत है.
दिव्या ने अपने घर के सभी नलों पर एरेटर भी लगाए, जिसके बारे में उनका दावा है कि इससे लगभग 360 लीटर पानी की अतिरिक्त बचत हुई है। डॉक्टर दिव्या के अनुसार, आरओ से सारा अपशिष्ट जल एक कंटेनर में एकत्र किया जाता है जिसका इस्तेमाल वो लोग पोछा लगाने और बगीचे में उपयोग के लिए करते हैं.
एक्स पर ट्वीट करते हुए दिव्या ने ये जानकारी भी दी है कि अब उनके परिवार ने कार धोना बंद कर है. अब वो लोग रोजाना गाड़ी की डस्टिंग करते हैं और हर दूसरे दिन गाड़ी को गीले कपड़े से साफ़ करते हैं. दिव्या के अनुसार इससे उनकी कार हर वक़्त चमकती रहती है. वहीं उन्होंने अपने पोस्ट में सिंगल पुश फ्लश के उपयोग की भी वकालत की.
अपने पोस्ट में दिव्या ने कहा कि बेंगलुरु में रह रहा कोई भी परिवार अगर इन चार युक्तियों का पालन कर लेता है तो वो 600 लीटर पानी की बचत करेगा. दिव्या ने लिखा कि इस बचत से हमारी जीवनशैली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
इंटरनेट पर डॉक्टर दिव्या का पानी बचाने का ये आईडिया वायरल हो गया है. तमाम लोग हैं जिन्होंने इससे प्रेरणा लेने की बात की है और कहा है कि इस मॉडल का इस्तेमाल कर हम जल संकट की चुनौतियों का सामना बड़ी ही आसानी के साथ कर सकते हैं.