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यहां है एशिया की सबसे बड़ी चींटियों की 'कॉलोनी', डेढ़ सौ बीघा जमीन में करोड़ों चींटियां

सबसे बड़ा महल, हवेली, कोई परिवार या कॉलोनी तो आपने खूब देखी होगी, मगर चींटियों की सबसे बड़ी 'कॉलोनी' राजस्थान के गांव निम्बावास में है. इस कॉलोनी को स्थानीय भाषा में कीड़ी नगरा भी कहा जाता है.

कीड़ी नगरा में अनाज डालते लोग कीड़ी नगरा में अनाज डालते लोग
नरेश सरनाऊ (बिश्नोई)
  • जालोर ,
  • 05 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST
  • राजस्थान के निम्बावास गांव में है एशिया का सबसे बड़ा कीड़ी नगरा
  • डेढ़ सौ बीघा जमीन में करोड़ों चींटियां
  • चींटियों का साम्राज्य, गांव का नाम कीड़ी नगरा

दावा है क‍ि राजस्थान में न‍िम्बावास का कीड़ी नगरा संभवत: एशिया में सबसे बड़ा है. इस बात का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि न‍िम्बावास का कीड़ी नगरा करीब डेढ़ सौ बीघा में फैला है. यहां करोड़ों चींटियां रहती हैं और रोजाना चार क्व‍िंटल दाने की खपत होती है.

जालौर के भीनमाल कस्बे से 13 किलोमीटर दूर स्थित गांव निम्बावास के बाहर बोर्ड लगा है जिस पर गांव में कीड़ी नगरा होने की जानकारी और कीड़ी नगरा से संबंधित आवश्यक बातें लिखी हैं. गांव निम्बावास में चारागाह भूमि पर बसे इस कीड़ी नगरा से ग्रामीणों को खास लगाव है. गांव के भामाशाहों यहां चीटियों के लिए अनाज रखने, कीड़ी नगरा को सींचने (चींटियों को दाना डालने) का पुख्ता बंदोबस्त कर रखा है.

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चींटियों की कॉलोनी.

डेढ़ सौ बीघा क्षेत्र में सिर्फ चींटियां ही

निम्बावास के इस कीड़ी नगरा के चारों तरफ तारबंदी भी करवाई हुई है ताकि यहां पर चींटियों को डाले गए नारियल का बुरा, अनाज, चूरमा, शक्कर, दलिया, बिस्किट आदि सामग्री खाने के लिए दूसरे बड़े जानवर प्रवेश ना कर सकें. चींटियों को दाना डालने के लिए हर पूर्णिमा व अमावस्या में मेले सा माहौल बनता है. यहां चींटियों को दाना डालने के लिए जालोर जिले के अलावा मारवाड़ क्षेत्र से दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. लगभग डेढ़ सौ बीघा क्षेत्र में आपको सिर्फ चींटियां ही दिखाई देगी. इस स्थान पर हर रोज करीब चार क्व‍िंटल दाना चींटियों को डाला जाता है.

सुबह से लेकर शाम तक यहां लोग चींटियों को दाना देते नजर आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या अधिक रहती है. चींटियों को दाना डालने के पश्चात महिलाएं भजन-कीर्तन करती हैं. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में सिरोही, बाड़मेर, पाली जिले के लोग भी शामिल हैं. लोग जैसे ही स्थल के बारे में सुनते हैं तो यहां पहुंच कर चींटियों के दान के लिए आतुर रहते हैं. 

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वर्षों से चला आ रहा स‍िलस‍िला 

कीड़ी नगरा को सींचने के लिए लोग अनाज इत्यादि कट्टों में भरकर यहां लेकर आते हैं. भीनमाल के भामाशाह नाहर परिवार, लुकड़ परिवार भी हर 15 दिन में चींटियों के लिए दाना भिजवाते हैं. यहां दाना एकत्रित करने के लिए गोदाम भी बनाए हुए हैं. इस तरह यहां इतना दाना इकट्ठा हो जाता है कि कम से कम 15 दिन तक आसानी से चलता है. आगामी पूर्णिमा व अमावस्या पर फिर दाना इकट्ठा हो जाता है. इस तरह से यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है.

पिछले चार साल में यहां आने वाले श्रद्धालुओं में काफी इजाफा हुआ है. निंबावास के कीड़ीनगरा की विशेषता यह है कि यहां की चींटियां, आम चींटियों की तुलना में आकार में बड़ी हैं. लोगों की मान्यता है कि इनको आहार देने से दुखों का निवारण होने के साथ सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. आस्था के चलते दूर-दराज से लोग यहां अनाज, चूरमा, शक्कर, दलिया, बिस्किट इत्यादि लेकर पहुंचते रहते हैं. 

 

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