
मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद जारी है. नागपुर में तो कब्र के मुद्दे को लेकर हिंसा भड़की, वहीं बयानबाजी का दौर अभी भी जारी है. नागपुर में हिंसा औरंगजेब के मकबरे को गिराने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों से भड़की थी. इसके बाद से जहां औरंगजेब की कब्र बनी है, वहां भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. औरंगजेब की कब्र को लेकर हो रहे विवाद का सीधा असर उन व्यापारियों पर भी पड़ रहा है, जो औरंगजेब की कब्र के बाहर दुकानें लगाकर अपना पेट पाल रहे हैं. अब दुकानदारों का कहना है कि इस विवाद के बाद से व्यापार काफी कम हो गया है.
कहां है औरंगजेब की कब्र?
मुगल शासक औरंगजेब की कब्र खुल्दाबाद में है, जो औरंगाबाद यानी संभाजीनगर में है. औरंगाबाद का नाम भी बदलकर छत्रपति संभाजीनगर जिला कर दिया गया है, संभाजी जो मराठा राजा शिवाजी के पुत्र थे, उन्होंने ही औरंगजेब से युद्ध किया था और उन्हें कई यातनाएं देकर मार दिया गया था. औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में हुई थी, जिसका नाम बदलकर अहिल्यानगर कर दिया गया है.
औरंगजेब के मकबरे को मॉन्युमेंट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस माना गया है और खुद सरकार के पास इसकी सुरक्षा का जिम्मा है. इसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का माना गया और प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 (AMASR Act) के तहत संरक्षण मिला हुआ है.
अभी कैसे हैं वहां के हालात?
नागपुर में हालात बिगड़ने के बाद खुल्दाबाद में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर हो रही बयानबाजी के बाद सुरक्षा में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ा गई है. लेकिन, अभी भी औरंगजेब की कब्र के अंदर जाने की परमिशन दी जा रही है. हालांकि, वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि कब्र देखने आने वालों की संख्या में काफी कम आई है. अब पर्यटक काफी कम हो गए हैं.
व्यापारियों के लिए हुई मुसीबत
खुल्दाबाद में पर्यटकों की भीड़ कम होने से सबसे ज्यादा असर उन व्यापारियों पर पड़ा है, जो औरंगजेब की कब्र पर आने वाले पर्यटकों के भरोसे कारोबार कर रहे है. पर्यटकों की संख्या कम होने से उनकी बिक्री पर काफी असर पड़ा है. व्यापारियों ने आजतक डॉट इन को बताया कि पहले हर रोज करीब 1000-2000 लोग कब्र देखने आया करते थे, लेकिन अब ये संख्या 100-200 तक सिमट गई है. इससे ग्राहकों का इंतजार रहता है, लेकिन कोई दुकान पर भी नहीं चढ़ रहा है.
'बोहनी भी नहीं हो रही है'
खुल्दाबाद में मकबरे के बाहर हैंडीक्राफ्ट सामान की दुकान चला रहे रिजवान ने आजतक को बताया कि कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. अब कोई ग्राहक नहीं आ रहा है और व्यापार काफी प्रभावित हुआ है. रिजवान का कहना है, 'भगवान की दुआ से पहले काफी अच्छा काम चल रहा था, लेकिन अब लोगों का आना बिल्कुल बंद हो गया है. इससे हालात इतने बुरे हैं कि कुछ दिनों से कई बार बोहनी तक नहीं हो पाती है. हम यहां हिंदू और मुसलमान बड़े सुकून से रह रहे हैं और अपना कारोबार कर रहे हैं. लेकिन, कुछ लोगों की वजह से हमें काफी नुकसान हुआ है.'
रिजवान ने बताया, 'हमारे कई साथी यहां और पास के मारुति मंदिर के पास दुकानें लगाते हैं, लेकिन जब से ये विवाद शुरू हुआ है, बिल्कुल बिक्री नहीं हो रही है. रमजान का वक्त चल रहा है, फल और खाने की चीजों में जितना खर्च होता है, उतनी भी कमाई नहीं हो रही है. रमजान के वक्त घर पर बच्चे और घरवाले नए कपड़े आदि की आस करते हैं, लेकिन हाल ये है कि रोज का खर्चा ही नहीं चल पा रहा है. हम रोज कमाने और उसे रोज खर्च करने वाले लोग हैं. ऐसे में हमारे यहां ज्यादा असर हो रहा है.'
130 की बिक्री हुई है
रिजवान ने ही बताया कि उनके पास ही एक मंदिर के बाहर उनके यहां जानकार दुकान लगाते हैं और मिठाई का काम करते हैं. रिजवान ने बताया, 'मेरे एक जानकार ने 10 हजार रुपये उधार लेकर एक दिन का माल बनाया और पेड़े तैयार किए. उन्होंने सोचा कि वो एक-दो दिन में उसे बेचकर कुछ पैसे कमा लेंगे, लेकिन उनकी एक दिन में सिर्फ 130 रुपये की बिक्री हुई. इसके साथ ही रखे-रखे उनके पेड़े भी खराब होने लगे. वो और उनकी बेटी मेरे पास आकर रो रही थी.
रोजगार खत्म हो गया
वहीं, मकबरे से करीब 25 मीटर की दूरी पर स्टोन ज्वैलरी की दुकान करने वाले मसीउद्दीन ने बताया कि औरंगजेब की कब्र को लेकर हो रहे विवाद के बाद से उनका रोजगार पूरी तरह से खत्म हो गया है. अब लोग नहीं आ रहे हैं और बिल्कुल भी बिक्री नहीं हो रही है. उन्होंने बताया, 'इसका असर ऐलोरा के घृष्णेश्वर मंदिर तक भी है, वहां हमारे रिश्तेदार भी दुकानें लगाते हैं और उनका व्यापार भी पूरी तरह खत्म हो गया है. आपको बता भी नहीं सकते कि हम कितने परेशान हैं.'