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राज ठाकरे को झटका, एमएनएस के 7 में से 6 कॉरपोरेटरों ने थामा शिवसेना का हाथ

शिवसेना के इस झटके के बाद एमएनएस का बीएमसी में केवल एक कॉरपोरेटर बचा है. एमएनएस ने हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से करवाने की मांग की है.

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे
प्रज्ञा बाजपेयी
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  • 14 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:39 AM IST

शिवसेना ने राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस को जोर का झटका दिया है. एमएनएस के 7 में से 6 कॉरपोरेटरों ने शिवसेना का हाथ थाम लिया है. राज ठाकरे अपनी पार्टी को दोबारा से खड़ा करने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे में अपने भाई उद्धव ठाकरे ने राज की पार्टी में फूट डलवा दी. शिवसेना के इस झटके के बाद एमएनएस का बीएमसी में केवल एक कॉरपोरेटर बचा है. एमएनएस ने हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से करवाने की मांग की है.

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बीजेपी ने लगाया 3 करोड़ की रिश्वत देने का आरोप

बीजेपी भी इस मामले में कूद पड़ी है. किरीट सोमैया का आरोप है कि शिवसेना ने इन कॉरपोरेटरों को किडनैप कर उन्हें तीन-तीन  करोड़ रुपए की रिश्वत का ऑफर दिया गया. किरीट सोमैया ने राज्य चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर स्वत: संज्ञान लेने और अलोकतांत्रिक तरीकों को रोकने की मांग की है.

शुक्रवार का दिन मुंबई के लिए सियासी हलचलों से भरा दिन रहा. दरअसल शुक्रवार को बीएमसी के भांडुप के चुनाव के नतीजे आए थे जिसमें बीजेपी को एक सीट हासिल हुई है. इस तरह बीएमसी में शिवसेना बीजेपी से बस एक सीट कम है. इसके बाद शिवसेना को मेयर पद हाथ से निकलने का डर था. शनिवार को एमएनएस के 6 बागी कॉरपोरेटरों ने मुंबई डिविजनल कमिश्नर से अपील की कि उन्हें एक अलग ग्रुप के तौर पर रजिस्टर किया जाए.

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घर वापसी कहकर शिवसेना ने किया स्वागत

शिवसेना इन सबसे बेअसर रही. उद्धव ठाकरे ने इसे वास्तविक शिवसैनिकों की घर वापसी कहकर कॉरपोरेटरों का स्वागत किया. हालांकि बागी कॉरपोरेटर एमएनएस का दामन छोड़कर शिवसेना में आए हैं लेकिन इससे बीजेपी और शिवसेना के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि गधों को हॉर्स ट्रेडिंग की बात नहीं करनी चाहिए. अगर बीजेपी हमारी सहयोगी है तो उन्हें इन सबसे दिक्कत क्यों होनी चाहिए? बीजेपी को इसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए. उद्धव ने बीजेपी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्होंने गोवा और दूसरे राज्यों में क्या किया है?

आखिर क्यों चल रहा है नंबरों का खेल?

बीएमसी 2017 के चुनाव में 227 सीटों में शिवसेना ने 84 सीटें जीती थीं. वहीं बीजेपी 82 पार्षदों के साथ दूसरे नंबर पर रही थीं. शिवसेना ने 3 और बीजेपी 2 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन लेने में कामयाब रही. बीजेपी के एक पार्षद की मौत के बाद हुए भांडूप उपचुनाव में बीजेपी को एक सीट हासिल हुई जिसके बाद बीएमसी में शिवसेना बीजेपी से बस एक सीट कम है. शिवसेना को आशंका थी कि 2019 के चुनावों के मद्देनजर बीजेपी शिवसेना पर बीएमसी की लड़ाई के जरिए दबाव डाल सकती है, इसके बाद अभी और राजनीतिक गहमागहमी पैदा होना तय है.

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