
अयोध्या के राम मंदिर में बनने के बाद से हर ओर बस राम नाम की गूंज है. वहीं 22 जनवरी को होने जा रही रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले गर्भगृह में स्थापित रामलला की तस्वीर भी पहली बार सामने आई है. इस सबके के बीच मंदिर को लेकर संघर्ष में शामिल बीरेंद्र कुमार बैठा का नाम चर्चा में है.
तीन दशक से नहीं खाया अन्न
दरअसल, 1992 में कारसेवकों के साथ अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के बाद अन्न को पूरी तरह से त्याग फलहार पर जीवित रहने वाले बीरेंद्र कुमार बैठा बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं. मंदिर बनने के इंतजार में तीन दशक से ज्यादा अन्न नहीं ग्रहण करने वाले बीरेंद्र कुमार बैठा को फलहारी बाबा और झमेली बाबा के नाम से भी लोग जानते हैं.
'बाबरी के गुम्बद पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति'
बाबा का दावा है कि 6 दिसंबर 1992 को विश्व हिन्दू परिषद के आह्वाहन पर वे अपने कुछ साथियों के साथ कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे. साथ ही उनका दावा है कि विवादित ढांचे गिराने के ख्याल से वे गुम्बद पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति हैं.
हालांकि इनके साथ शिवसेना के भी कुछ साथी गुम्बज पर पहुंचकर ढांचे को एक लोहे के पाइप से तोड़ने लगे थे. वहीं जब गुम्बज टूट गया तब साध्वी ऋतम्भरा के कहने पर वे नीचे उतरे. तभी गुम्बज धराशाही हो गया.
ऊपर चढ़ा एक व्यक्ति सीधे नीचे गिरा लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ पर गुम्बद गिरने से उसके नीचे चार लोगों की मौत हो गयी. सभी को बाहर निकाला गया और विवादित ढांचे की ईंट को कई लोग अपने साथ लेकर घर को निकल गए.
22 जनवरी के बाद गंगा स्नान कर खाएंगे नमक और अन्न
इसके घटना के बाद झमेली बाबा ने मंदिर निर्माण होने तक अन्न ग्रहण नहीं करने का संकल्प लिया. उनका दावा है कि तब से लेकर अब तक उन्होंने अन्न और नमक का ग्रहण नहीं किया है और सिर्फ फल खा कर जीवित हैं.
अब जब अयोध्या में राम मंदिर बन गया है और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होनी है तो झमेली बाबा ने ख़ुशी जताते हुए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद गंगा स्नान कर नमक और अन्न का ग्रहण करने की बात कही है.
'रमजान में सब दिन रोजा भी रखते हैं, लेकिन...'
उन्होंने बताया कि वे सभी धर्मों का करते है सम्मान करते हैं और मुस्लिमों के पाक पर्व रमजान में सभी दिन रोजा भी रखते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा की हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है और राम मंदिर से अब मुस्लिम भी खुश है.
उन्होंने अयोध्या से प्राण प्रतिष्ठा में निमंत्रण नहीं मिलने की बात जरूर कबूल की लेकिन निमंत्रण नहीं मिलने का उन्हें तनिक भी मलाल नहीं है. उन्होंने बताया की बाद में वे अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करेंगे.
चौबीस घंटे में सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा
बाबा को जानने वालों की बात मानें तो बीरेंद्र कुमार बैठा ब्रह्मचार्य जीवन जी रहे हैं और सालों से छोटी सी पान की दुकान चलाकर अपना गुजारा करते हैं. जब तक उनके माता पिता जिन्दा थे तब तक उन्होंने उनकी सेवा भी की.
अब वे अकेले जीवन जी रहे हैं. और भगवान् के प्रति उनका पूरा समर्पण ही जीवन का लक्ष्य है. यही कारण है कि वह सावन के महीने में देवों को देव महादेव की पूजा अर्चना के लिए भी कठोर तपस्या करते हैं.
उन्होंने बताया कि सावन महीने में वे प्रत्येक सोमवार को डाक बम लेकर बाबा बैजनाथ धाम कावर यात्रा करते हैं और चौबीस घंटे के अंदर सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा का जलाभिषेक करते हैं.