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अपनी बहन से प्यार, हुए 4 बच्चे, रिलेशनशिप के जुर्म में कई बार जेल गया शख्स

शख्स का कहना है कि बहन से शादी करने की वजह से उसे अपराधी करार दिया गया जिसकी वजह से उसके मानवाधिकारों का हनन हुआ.

पैट्रिक स्टूबिंग और सुसन कैरोलेवस्की (Credit: Susan and Patrick) पैट्रिक स्टूबिंग और सुसन कैरोलेवस्की (Credit: Susan and Patrick)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 03 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST
  • शख्स लंबे वक्त से कानूनी लड़ाई लड़ रहा
  • शख्स ने बहन से ही शादी कर ली
  • दोनों के 4 बच्चे हो चुके हैं

जर्मनी में 44 साल का एक शख्स लंबे वक्त से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. और उसकी मांग है कि करीबी रिश्तेदारों के बीच शादी को अपराध बनाने वाले कानून को खत्म किया जाए. इस कानून के तहत वह कई बार जेल भी जा चुका है. उसका अपराध ये है कि उसने अपनी बहन से ही शादी कर ली. 

नाम है- पैट्रिक स्टूबिंग. वे जर्मनी के लीपजिग के रहने वाले हैं. वह बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए. उन्हें एक परिवार ने गोद ले लिया था और उनकी परवरिश अपने भाई-बहनों के साथ नहीं हुई. बड़े होने के बाद उन्होंने अपने परिवार को ढूंढा. इसी दौरान उन्हें अपनी बहन सुसन कैरोलेवस्की से प्यार हो गया. 

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44 साल के पैट्रिक की बहन की उम्र अब 37 साल है. दोनों के 4 बच्चे हो चुके हैं जिनमें से कम से कम 2 दिव्यांग हैं. हालांकि, पैट्रिक का कहना है कि उसके परिवार में पहले भी दिव्यांग बच्चे पैदा हो चुके हैं. उनके 6 अन्य भाई बहनों में कई दिव्यांग थे. हालांकि सभी भाई-बहनों की मौत बचपन में ही हो गई थी.

पैट्रिक ने कहा- मानवाधिकारों का हनन हुआ

पैट्रिक का कहना है कि बहन से शादी करने की वजह से उन्हें अपराधी करार दिया गया. उनका कहना है कि उन्हें अपराधी बताकर, उनके मानवाधिकारों का हनन किया गया है. 

पैट्रिक के पिता हिंसक थे. उन्होंने पैट्रिक पर चाकू से हमला किया था जब पैट्रिक 3 साल के थे. इसके बाद पैट्रिक को कोर्ट की देखरेख में रखा गया और फिर एडॉप्ट कर लिया गया. पैट्रिक की मां चेन स्मोकर और बेरोजगार थी. 

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सुसन ने कहा था कि उसे घर में प्यार नहीं मिला और वह अपनी मां के लिए बोझ थी. सुसन की पढ़ाई-लिखाई भी सही से नहीं हुई है और वह मुश्किल से ही कुछ लिख पाती है.

22 साल की उम्र में पहली बार हुई बहन से मुलाकात

अपने परिवार को ढूंढने के बाद, करीब 22 साल की उम्र में पैट्रिक की मुलाकात बहन सुसन से हुई. इस मुलाकात के कुछ महीने बाद ही उनकी मां का निधन हो गया. पैट्रिक ने बताया कि इसके बाद बहन की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई. 

अलग-अलग बच्चों के जन्म को लेकर पैट्रिक पर अलग-अलग मुकदमे चलाए गए हैं. इनमें उन्हें 10 महीने से लेकर ढाई साल तक की सजा सुनाई गई है. वहीं, सुसन को सजा नहीं हुई क्योंकि वह पर्सनलिटी डिस्ऑर्डर से जूझ रही थीं. वह अपने फैसलों को लेकर कुछ हद तक ही जिम्मेदार ठहराई जा सकती थी.

2012 में कपल ने इस मामले को फ्रांस स्थित European Court of Human Rights (ECHR) में उठाया. बता दें कि फ्रांस, तुर्की, जापान, ब्राजील में पहले ही करीबी रिश्तेदारों के बीच संबंध को कानूनी कर दिया गया है. इसी तर्ज पर कपल ने जर्मनी के कानून को भी बदलने की मांग की.

European Court of Human Rights ने क्या कहा

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हालांकि, ECHR ने कहा कि करीबी रिश्तेदारों के बीच संबंध को बैन करने का अधिकार जर्मनी को है. ECHR ने कहा कि जर्मनी की अदालत ने शादी और परिवार की सुरक्षा को लेकर पैट्रिक को सजा सुनाई. साथ ही यह भी देखा कि कपल के बर्ताव से परिवार के वास्तविक रोल धुंधले हो गए. 

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि करीबी रिश्तेदारों में शादी की वजह से नुकसान का खतरा अधिक रहता है. साथ ही, करीबी रिश्तेदारों में संबंध को इसलिए भी बैन किया गया है क्योंकि दिव्यांग बच्चे पैदा होने का खतरा रहता है.

हालांकि, 2014 में German Ethics Council ने यू-टर्न लिया और करीबी रिश्तेदारों के संबंध को मंजूरी देने के पक्ष में वोट किया. कपल के केस की समीक्षा करने के बाद काउंसिल ने पाया कि दिव्यांग होने का खतरा इतना अधिक नहीं है कि इसे गैरकानूनी रखा जाए. हालांकि, इसके बाद भी जर्मनी के कानून में बदलाव नहीं किया गया.

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