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मणिपुर: BSF के जवानों का कमाल, 70 दिनों में मोटे-थुलथुले शरीर को 6 पैक्स एब्स में बदला

कुछ दिन पहले बीएसफ ने अपने ट्वीट पर दो तस्वीरों को साझा किया था जिसमें एक तस्वीर में कुछ कैडेट्स हैं, जिनका वजन बढ़ा हुआ है और दूसरी तस्वीर में सिक्स-पैक एब्स वाले कैडेट्स दिखाई पड़ रहे हैं. दरअसल, बीएसफ के जवानों ने 70 दिनों के अंदर अपने थुलथुले शरीर को बदल कर गठीला बदन यानी 6 पैक एब्स में तब्दील कर लिया.

70 दिन में BSF के जवानों ने किया कायाकल्प 70 दिन में BSF के जवानों ने किया कायाकल्प
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • मणिपुर,
  • 17 जून 2021,
  • अपडेटेड 10:22 PM IST
  • बीएसएफ की मणिपुर स्थित ट्रेनिंग सेंटर ने ट्विटर पर शेयर की तस्वीर
  • 10 हफ्ते यानी 70 दिन की ट्रेनिंग के बाद बनाए 6 पैक्स एब्स

क्या कभी किसी ने सोचा है कि 70 दिन के अंदर एक थुलथुला शरीर बदल कर गठीला बदन यानी 6 पैक एब्स में तब्दील हो सकता है. जी हां, ऐसा हो सकता है और ये कर दिखाया है बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के जवानों ने. कुछ दिन पहले बीएसफ ने अपने ट्वीट पर दो तस्वीरों को साझा किया था जिसमें एक तस्वीर में कुछ कैडेट्स हैं, जिनका वजन बढ़ा हुआ है और दूसरी तस्वीर में सिक्स-पैक एब्स वाले कैडेट्स दिखाई पड़ रहे हैं.

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बीएसएफ की मणिपुर स्थित ट्रेनिंग सेंटर ने अपने ट्वीटर एकाउंट से इन दोनों तस्वीरों को एक साथ पोस्ट करते हुए लिखा है कि 10 हफ्तों का परिणाम है कि जवानों ने कैसे अपने शरीर का कायाकल्प कर लिया है. 

बीएसएफ के सभी फ्रंटियर हेडक्वार्टर से 4-5 कैडेट्स को चुना जाता है.

बीएसफ प्रवक्ता कृष्णा राव ने आजतक से बात करते हुए बताया कि मणिपुर के चूड़ाचंद्रपुर के एसटीएस सेंटर के सीसी यानि कैप्सूल कोर्स नंबर 43 की ट्रेनिंग दी गई जिसमें जवानों को पीटी के साथ-साथ UAC को ट्रेनिंग दी गई. दूसरे शब्दों में कह सकते है कि इस कोर्स में फिजीकल ट्रेनिंग (पीटी) और अनआर्म्ड कॉम्बेट (यूएससी) की कठिन ट्रेनिंग दी गई.

ये फोर्स लेबल का कोर्स है जिसमें बीएसएफ के सभी फ्रंटियर हेडक्वार्टर से 4-5 कैडेट्स को चुना जाता है. 10 सप्ताह के इस कैप्सूल कोर्स के लिए 70 कैडेट्स को चुना गया था. 4 दिन पहले 10 हफ्ते यानी 70 दिन की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद एसटीसी मणिपुर ने सभी जवानों की ये तश्वीर जारी की है.

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4 दिन पहले 10 हफ्ते यानी 70 दिन की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद की तस्वीर.

बीएसफ ने आजतक को यह जानकारी दी है कि इन जवानों को ट्रेन करने और इनका वजन कम करने के लिए इनको फिजिकल तौर पर तपाया गया है. ये जवान सुबह 4.30 पर उठकर ट्रेनिंग के लिए जाते थे. बीच में थोड़ा रेस्ट के बाद शाम 7.30 बजे तक इनको अलग-अलग ट्रेनिंग के पहलुओं से गुजरना पड़ता था जिसके बाद ये जवान ऐसे बनकर निकले हैं. दस हफ्ते के इस कोर्स में कुल 448 पीरियड्स होते हैं. एक दिन में करीब 10 पीरियड होते थे.

इस दौरान उनकी शारीरिक-क्षमता बढ़ाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है. ट्रेनिंग के इस पीरियड में फुटबॉल, वॉलीबॉल, हैंडबॉल और बास्केट-बॉल खेलने के लिए भी कैडेट्स को प्रत्सोहित किया जाता रहा है. जानकारी के मुताबिक, इस दौरान जवानों को उनकी डाइट चार्ट के हिसाब से खाना मुहैया कराया जाता था जिससे उनके शरीर में फैट न चढ़ सके और यही वजह रही है कि 10 सप्ताह यानी 70 दिनों में जवान तप करके इस तरीके से निकले हैं.

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